मोहतमिम मोलाना सालीम अशरफ काशमी ने दिया ये बयान सय्यद वसीम रिज्वी के बयान पर दारुलउलूम अशरफिया के मोहतमिम माैलाना सालीम अशरफ काशमी ने कहा है कि सबसे पहले मुकदमा दर्ज करने के लिए हमारे स्टेट में अगर कोई है तो वह खुद रिजवी हैं। सबसे पहले उन्ही पर ही मुकदमा दर्ज होना चाहिए। बाेले इसकी वजह यह है कि वह बागी हैं। ढाड़ी खुदा की कुदरत है, ढाड़ी बाजारी चीज नहीं है जिसको हम बाजार से खरीद कर रखते हैं। यह खालीक ए कायनात ने इमान वालों की खूबसूरती के लिए नूरानियत के लिए दी है। जो मुसलमानों का नवादा पहनकर इसको डरावना चेहरा बता रहा है मैं समझता हूं कि वो खुद इस लायक है कि उससे लोगो को डर जाना चाहिए और समाज को उससे दूर भागना चाहिए और उस पर थू करना चाहिए इसलिए कि अगर हमारे इख्तियार की चीज होती तो इसमें हम कुछ कर सकते थे लेकिन यह कुदरत का तोहफा है जितने ऋषिमुनि दुनिया में आए जितने पैगंबर जितने पंडित इस दुनिया में आए और चले गये सबने ढाड़ी रखी है। यह अल्लाह का दिया हुआ तोहफा है इसलिए इस तरह की बयानबाजी से अपने आप को अकलमंद साबित करना यह खामखा की बात है वसीम रिजवी को इस तरह हुजूर की सुन्नत की तोहीन से बचना चाहिए तौबा करनी चाहिए वरना ऐसा इंसान इस्लाम से खारिज हो जाता है कट्टरपंथी होने का ताल्लुक ढाड़ी रखने से चेहरा खराब नहीं होता यह इंसान के फेल से बाहर की चीज है से नहीं है यहां जितने भी बम ब्लास्ट हुए हैं उनमें से अगर ज्यादा की तहकीक की जाए तो वह ढाड़ी रखने से चेहरा खराब नहीं होता यह इंसान के फेल से बाहर की चीज है वाले लोग नहीं थे रिजवी को अपने मुल्क की तारीख मालूम नही है इल्म का जर्रा बराबर भी ज्ञान नही है उन्हें सुर्खियों में रहने की आदत है इसलिए वह इस अंदाज की बयानबाजी करते रहते हैं
ये बाेले मुफ्ती अहमद गौड़ वसीम रिज्वी के बयान पर वसीम अहमग गाैड ने कहा है कि, वसीम रिज्वी का बयान नफरत से प्रेरित है। वह इस तरह की रवायत को जिंदा करना चाहता है जो लोग देश के अंदर 60 साल से नफरत फैलाना चाहते हैं। वह मोहब्बत की आड़ में नफरत की बात कर रहे हैं। उन्के दिलो-दिमाग में उलेमा हजरात का अहतराम नहीं है जो 1500 वर्षाें से उलमेदीनिया की हिफाजत कर रहे हैं और कुरान हदीस का दंश दे रहे हैं । वो उन पर उंगली उठा रहे हैं, मुझे ताज्जुब होता है। वह महात्मा गांधी जवाहरलाल नेहरु स्वतंत्रता सेनानीयो पर उंगली उठा रहे हैं जिन्होंने देश को आजाद कराया और सभी को आजादी के साथ अपने धर्मों में मानने का अधिकार दिया। उनको उन्हीं लोगों से नफरत है वह उन्हीं लोगों की नफरत की बुनियाद पर बात कर रहे हैं। वसीम रिजवी बताएं कि क्या वह अपनी बहू बेटियों बहनों को भी बिंदीया लगवाएंगे उन लोगों को सिंदूर भरवाएंगे उनकी शादी हिंदू रीति-रिवाज से कराएंगे क्या वह फेरे दिलवाएंगे उनको पहले वह अपने परिवार में इन चीजों की शुरुआत करें वह सारे काम कराएं हमें कोई एतराज नहीं है हमें अधिकार हैं हम अपनी बहन बेटियों को बिना सिंदूर के इज्जत दिला सकते हैं यह हमारा संविधान हमे इसकी इज्जात देता है और हम दीन के इल्म पर पूरा-पूरा अमल करेंगे और इस पर चलने से हमें कोई रोक नहीं सकता और हमारे हुजूर ने फरमाया है कि दाढ़ी को बढ़ाओ और मूछों को खत्म करो मूछों को खत्म करने की वजह यह है कि मूछे इतनी बड़ी ना हो जो अपने लवो से आगे आ जाए और मुझे साफ करने के दाढ़ी रखने पर भी आपको ऐतराज करने का कोई हक नहीं है अगर कोई आदमी अपने मजहब पर चलता है तो उनके खिलाफ क्या मुकदमे दर्ज होनी चाहिए क्या यह देश का संविधान कहता है उनको इलाज की जरूरत है उनको जाकर किसी दिमागी डॉक्टर से इलाज कराना चाहिए उनका दिमाग की संतुलन खराब हो चुका है