ज्योतिषाचार्य अनिल गर्ग अपने निर्धित समय पर जैसे ही ‘आओ आओ’ की आवाज लगाते हैं तो चारों तरफ से अचानक कौवों की भी कांव-कांव आवाजें गूंजने लगती हैं और देखते ही देखते ये कौवे हजारों की संख्या में उनके चारों ओर इकट्ठे हो जाते हैं। जो ज्योतिषाचार्य और कौवों के बीच के इस रिश्ते को देखता है वो हैरान रह जाता है। क्योंकि एक तरफ जहां शहर में बमुश्किल कौवे दिखाई देते हैं, वहीं अनिल के लिए हजारों कौवे जाने कहां से अचानक इतनी बड़ी संख्या में इकट्ठे हो जाते हैं। अनिल गर्ग और कौवों के बीच इस दोस्ती की चर्चा आमतौर पर शहर में चर्चा का विषय बनी रहती है।
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एक आवाज पर आ जाते हैं हजारों कौवे
शहर के गोपालगंज इलाके में रहने वाले ज्योतिषाचार्य अनिल गर्ग माता रानी के भक्त हैं। उन्हीं की प्रेरणा से करीब 3 साल पहले उन्होंने कौवों को दाना खिलाना शुरू किया था। इसके लिए वो रोजाना विश्वविद्यालय पहाड़ी पर स्थित गौर समाधि के सामने वाले मैदान में आते हैं। हालांकि, शुरु-शुरु में उनकी आवाज पर दो या तीन कौवे ही बोजन करने आते थे। लेकिन, धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़ने लगी। अब बीते लगभग दो सालों से हजारों की संख्या में कौए यहां आने लगे हैं। अनिल भी रोजाना अपनी पत्नी या अन्य किसी परिजन के साथ यहां पहुंचते हैं।
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पितृ ऋण से मुक्त हो जाते हैं
इस संबंध में ज्योतिषाचार्य अनिल गर्ग का कहना है कि कौए को काकभुशुण्डि भी कहा जाता है और इनका वर्णन वेद, शास्त्र और पुराणों में मिलता है। ब्रह्म पुराण, रामायण, श्रीमद् भागवत गीता में इनका उल्लेख है। काकभुशुण्डि भगवान राम के अनन्य भक्त हैं। उन्होंने बताया कि कौओं को दाना खिलाने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। आजकल हर व्यक्ति जल्दी में रहता है। पूजन पाठ नहीं करता और झूठ भी बहुत बोलता है। अगर कागभुसुंडि की सेवा करें तो न सिर्फ उसके सारे पाप नष्ट होते हैं। बल्कि जीवन भी उन्नति की ओर बढ़ता है।