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कंडम आवास आवंटित कर गरीबों की जान जोखिम में डाल रहा निगम, निर्माण कार्यों पर उठ रहे सवाल

बिजली-पानी, साफ-सफाई का अभाव, आवंटन के पहले ही जवाब दे रहे भवन सागर. सालों पहले मेनपानी में बनाए गए आवास सालों बाद भी वीरान और बदहाल पड़े हैं। बिल्डिंग की छतों पर जमा पानी हर फ्लैट में सीलन पैदा कर रहा है। दीवारों से प्लास्टर राख की तरह झड़ रहा है, बाउंड्री वॉल में दरारें […]

सागरOct 25, 2024 / 09:37 pm

नितिन सदाफल

झड़ रहा प्लास्टर

झड़ रहा प्लास्टर

बिजली-पानी, साफ-सफाई का अभाव, आवंटन के पहले ही जवाब दे रहे भवन

सागर. सालों पहले मेनपानी में बनाए गए आवास सालों बाद भी वीरान और बदहाल पड़े हैं। बिल्डिंग की छतों पर जमा पानी हर फ्लैट में सीलन पैदा कर रहा है। दीवारों से प्लास्टर राख की तरह झड़ रहा है, बाउंड्री वॉल में दरारें आ गईं हैं और नवनिर्मित भवन हादसों को निमंत्रण दे रहे हैं। 504 में से करीब 361 आवासों का आवंटन हो चुका है, लेकिन रहने वालों की संख्या मात्र 80 से 90 है। वहीं व्यवस्थाओं के अभाव में जो परिवार निवास कर रहे हैं वह गांव जैसा जीवन जीने मजबूर हैं। परिसर में बिजली बड़ी समस्या बनी हुई है, किसी भी फ्लैट में मीटर तक नहीं लगा। परिसर में साफ-सफाई के अलावा कचरा गाड़ी भी नहीं जाती। भवन भी आवंटन से पहले ही जर्जर हो गए हैं, यही कारण है कि नगर निगम ने मेनपानी के 90 आवासों के आवंटन के लिए जो शिविर लगाया है, उसमें मात्र 25 से 30 लोगों ने ही मेनपानी में फ्लैट लेने अंशदान की राशि जमा की है।

अभी भी प्रोजेक्ट पूरा होने में लगेंगे 5 करोड़ रुपए-

दरअसल, 2017 में मेनपानी के 9 हेक्टेयर में 59.89 करोड़ का प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ था। नगर निगम का दावा है कि मेनपानी में इडब्ल्यूएस के 504 सहित 48 एलआइजी भवन का कार्य पूर्ण हो चुका है, शेष भवनों को प्लाॅट में परिवर्तित कर बेचा जा रहा है। जिसमें 169 एलआइजी, 105 एमआइजी प्लाॅट विकसित कर बेचे जा रहे हैं। जिन हितग्राहियों को आवास आवंटित हुए हैं, उनसे करीब 4.47 करोड़ रुपए अंशदान की राशि जमा करा ली गई है। प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए अभी भी करीब 5 करोड़ रुपए की आवश्यकता है।
फैक्ट फाइल
9 हेक्टेयर का प्रोजेक्ट
2017 में योजना शुरू
504 फ्लैट
59.89 करोड़ लागत
4.47 करोड़ रुपए हितग्राहियों से जमा कराए।

उस समय शासन से कॉस्ट कम करने के निर्देश मिले थे, लेकिन तब तक बिल्डिंग की छत ढल चुकी थीं, ऐसे में उन्होंने कहा कि छत पर वाटर प्रूफिंग मत करो। 4 इंची वाटर प्रूफिंग नहीं हुई और ना ही हम पानी निकासी के लिए ढलान बना पाए। जिस फर्म ने बिल्डिंग बनाई थी उन्होंने सीमेंट की ईंटों का प्रयोग किया जो पानी में फूल रहीं हैं। अब निगमायुक्त के निर्देश पर एक बिल्डिंग में वाटर प्रूफिंग का कार्य कर रहे हैं, यदि यह सफल रहा तो नगर निगम के निर्देश पर अन्य भवनों पर भी किया जाएगा।
अनुराग सोनी, कंसल्टेंट प्रोजेक्ट मेनपानी।

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