इलाज में देरी न हो इसलिए कार्ड टेस्ट हो रहे जिले में डेंगू की एलाइजा जांच मात्र मेडिकल कॉलेज में हो रही है, जिसकी जांच रिपोर्ट भी दूसरे दिन मिलती है, ऐसे में निजी अस्पताल के डॉक्टर्स कार्ड टेस्ट करके ही मरीजों का इलाज शुरू कर रहे हैं। मरीज रिकवर हो जाता है और स्वास्थ्य विभाग को पता ही नहीं चलता। जिलेभर में रोज होती दो से तीन हजार सीबीसी जांचों में 3-5 प्रतिशत मरीजों की प्लेटलेट्स कम निकल रहीं हैं।
मौके का फायदा उठा रहे झोलाछाप स्वास्थ्य अधिकारियों की मानें तो निजी अस्पतालों व ग्रामीण अंचलों के झोलाछाप डॉक्टर्स कार्ड टेस्ट करके मरीज में डेंगू होने की पुष्टि कर दे रहे हैं और मरीजों से इलाज के नाम पर मोटी रकम भी वसूल रहे हैं। प्लेटलेट्स गिरने के कई वायरल फीवर, पीलिया जैसे कारण हो सकते हैं, लेकिन कुछ डॉक्टर्स मरीजों में डेंगू का भय दिखा रहे हैं।
यह रखें सावधानी
-घर के आसपास पानी जमा न होने दें।
-मच्छरदानी का प्रयोग करेेंं।
-लगातार तेज बुखार होने पर डॉक्टर को दिखाएं।
-सिर, आंखों के पीछे दर्द, जैसे लक्षण पर गंभीरता दिखाएं।
वायरल फीवर में भी प्लेटलेट्स गिरते हैं, इसलिए किट की जांच में डेंगू की पुष्टि नहीं की जा सकती, हालांकि संदिग्ध मरीज के क्षेत्र में लार्वा सर्वे शुरू कर देते हैं। अभी जिले में 329 टीमें लार्वा सर्वे कर रहीं हैं।
देवेश पटैरिया, जिला मलेरिया अधिकारी।