दो साल से अटकी है प्रक्रिया
केंद्र सरकार ने कैंट सागर के सागर नगर निगम में विलय की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिसंबर-2022 में जारी किया था। इसके बाद कैंट ने अलग-अलग जमीनों के हिसाब से प्रस्ताव तैयार किए और उनको मप्र शासन के साथ रक्षा संपदा को भेजा। लोकसभा और मप्र विधानसभा के चुनावों के कारण प्रक्रिया शिथिल हो गई थी, जिसको अब दोबारा शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।
ये है मतभेद
रक्षा मंत्रालय की ओर से ए-1 टाइप की भूमि को छोड़कर शेष जमीन नगर निगम में विलय करने का प्रस्ताव बनाया गया था, लेकिन इस पर नगर निगम प्रशासन ने आपत्ति दर्ज कराई थी। निगम प्रशासन ए-1, ए-2, कृषि भूमि समेत कैंट क्षेत्र में मिलने वाले टैक्स को भी चाहता है ताकि निगम प्रशासन पर पडऩे वाले स्थापना व्यय के भार को कम किया जा सके।
…तो प्रदेश का पांचवां सबसे बड़ा नगर निगम बन जाएगा सागर
सागर नगर निगम के वार्डों का परिसीमन और कैंट के वियल होने के बाद वार्डों की संख्या 12 से 15 तक बढ़ सकती है। तीन साल पहले हुए परिसीमन में शहर में 8 नए वार्ड बनाए गए थे, लेकिन बाद में यह प्रक्रिया रोक दी गई। वार्डों की संख्या बढऩे के बाद शासन से मिलने वाले राजस्व में भी इजाफा होगा।
ये होंगे फायदे
– कैंट के सदर क्षेत्र के लोगों को अभी तक स्वच्छ भारत मिशन, आवासीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिन्हें विलय के बाद मिलेगा। – निगम प्रशासन को शासन की ओर से ज्यादा राशि मिलेगी। – सागर का नाम महानगरों की श्रेणी में दर्ज होगा।
फैक्ट फाइल
– 1835 में हुई थी सागर छावनी की स्थापना – 4048.792 एकड़ है छावनी का कुल क्षेत्रफल – 3957.79 एकड़ भूमि सैन्य उपयोगी व संरक्षित है – 142.22 एकड़ है सिविल एरिया- 40000 से अधिक है छावनी की आबादी – 7 वार्डों में विभाजित है छावनी परिषद – 2469.012 एकड़ भूमि को निगम में विलय का प्रस्ताव भेजा
– 1957 एकड़ रक्षा संपदा भूमि को लेकर अटका है मामला
जल्द बैठक होगी
कैंट और नगर निगम के विलय को लेकर जल्द ही सेना, जिला व नगर निगम प्रशासन के अधिकारियों के बीच बैठक आयोजित होगी। शासन की ओर से निर्देश मिले हैं कि जो मतभेद हैं, उनको दूर कर विलय की प्रक्रिया पूर्ण करें। – मनीषा जाट, सीइओ, छावनी परिषद सागर