ब्रह्मचारी संजीव भैया ने कहा कि हथकरघा के वस्त्र मंहगे हो सकते हैं लेकिन आपके स्वास्थ्य से बढ़कर नहीं हैं। आदिवासी इलाक़ों दिलों में चल चरख़ा प्रशिक्षण का कार्य देख रहीं। नीरज दीदी ने कहा कि आचार्य श्री की भावना है कि हम ग्रामीणों की बात सुने व उनके विकास के लिए हर संभव प्रयास करें, इसी भावना से 1999 में प्रतिभामंडल का उदय हुआ, जिसमें आज 300 बहने समर्पण भाव से कार्य कर रही है। तीन राज्यों में पांच आवासीय कन्या विद्यालयों प्रतिभा स्थली के माध्यम से 1200 छात्राओं को सी बी एस ई हिंदी माध्यम से संस्कारित शिक्षा दी जा रही है।
सकारात्मक बदलाव
केन्द्रीय जेल सागर के जेल अधीक्षक राकेश भांगरे ने जेल में हथकरघा की स्थापना व विकास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आचार्य महाराज की कृपा से जो सकारात्मक बदलाव हमारे बंदी भाईयों में आया है उसे देखकर विभिन्न जेलों के अधिकारियों ने सराहा एवं अनुसरण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सागर जेल में रात्रि भोजन का निषेध हो गया जिससे बंदियों के स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ रहा है।
ये रहे मौजूद: न्यायाधीश अरविंद जैन, एम के जैन, शुभम् मोदी, जेलर मदन कमलेश, डिप्टी जेलर नागेन्द्र चौधरी, प्रभात जैन मुंबई, राजा भाई सूरत, महेश, मुकेश जैन ढाना, प्रकाश, आनंद, दिनेश, वीरेन्द्र मालथौन , डॉ. नीलम जैन आदि।