रेडियोलॉजी विभाग में हर दिन प्रसूता, सर्जरी सहित तमाम विभागों से हर दिन करीब 300 मरीज सोनोग्राफी के लिए पहुंचते हैं। अभी तक विभाग में 120-150 सोनोग्राफी ही हो रहीं थीं। बाकी मरीजों को अगली तारीख दे दी जातीं हैं। विभाग के अधिकारी-कर्मचारी प्रसूताओं, एक्सीडेंट और भर्ती मरीजों के केस को प्राथमिकता देते हैं और अन्य मरीजों के लिए अगले दिन आने के लिए कहा जाता है। विगत दिन जब बीएमसी कार्यकारिणी समिति की अध्यक्ष डॉ. अरूणा कुमार ने निरीक्षण किया और उन्होंने जांच में तेजी लाने के निर्देश दिए तो अब रोज 185-200 सोनोग्राफी होने लगीं हैं फिर भी रोज 50 मरीजों को सोनोग्राफी के लिए अगली तारीख दी जा रही है।
तो विभाग में ही हो जाएगी सोनोग्राफी जानकारों की मानें तो बीएमसी के रेडियोलॉजी विभाग में लंबे समय से स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर्स के चिंहित डॉक्टर्स को सोनोग्राफी सिखाने 6 माह का कोर्स चल रहा है। बीएमसी बनने के बाद अब तक करीब 118 डॉक्टर्स ने प्रशिक्षण लिया है, अभी किसी की भी परीक्षा नहीं हुई है। वहीं डॉक्टर्स अपनी अस्पताल पहुंचकर सोनोग्राफी करते हैं। ऐसे में यदि बीएमसी के विभागों के डॉक्टर्स को भी प्रशिक्षण दे दिया जाए तो सामान्य केस के मरीजों की वह अपने विभागों में ही सोनोग्राफी कर सकते हैं।
स्टाफ की कमी फिर भी असिस्टेंट प्रोफेसर को दो-दो प्रभार रेडियोलॉजी विभाग में सुबह 9 से दोपहर 1.30 बजे तक लंबी लाइनें लगी रहतीं हैं। कहा जाता है कि विभाग में विशेषज्ञ का अभाव है, जबकि विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर को बॉयज हॉस्टल और फायर का प्रभार दिया गया है। असिस्टेंट प्रोफेसर हॉस्टल और फायर की व्यवस्थाएं करने में व्यस्त रहते हैं और विभाग में मरीजों की लाइनें लगी रहती हैं।
अनावश्यक जांचें रोकने पर भी आ सकती है कमी सोनोग्राफी को लेकर यह तथ्य भी सामने आ रहा है कि डॉक्टर्स व पीजी स्टूडेंट सोनोग्राफी के लिए अनावश्यक जांचें लिख रहे हैं। प्रसूताओं, एक्सीडेंट केस, गंभीर पेट दर्द जैसी आपातकालीन स्थिति के अलावा सोनोग्राफी के 300 में से 30 प्रतिशत केस ऐसे भेजे जाते हैं, जिनको सामान्य दर्द या सोनोग्राफी की आवश्यकता ही नहीं होती। अनावश्यक जांचें रोकी जाएं तो भीड़ व वेटिंग भी कम हो जाएगी।
पूरा मामला मेरे संज्ञान में है, अब जांचों में तेजी आ रही है। जहां तक प्रशिक्षण की बात है तो बीएमसी के डॉक्टर्स को सोनोग्राफी का प्रशिक्षण देने पर भी विचार चल रहा है, ताकि सामान्य केस में मरीजों की उनके विभाग में ही सोनोग्राफी हो जाए और मरीजों को लाइनों से निजात मिल सके।
डॉ. पीएस ठाकुर, डीन बीएमसी।