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फोरेंसिक लैब का इंसीनरेटर बंद, विसरा खुले में फेंकने मजबूर, संक्रमण का खतरा

इंसीनरेटर तक नहीं चला पा रहे वैज्ञानिक ,ढाई साल से बंद पड़ी यूनिट, पुलिसकर्मियों को थमा रहे विसरा नमूने से भरे जार…

सागरJan 13, 2018 / 05:59 pm

संजय शर्मा

Incinerator
सागर. फोरेंसिक लैब में बायोलॉजिकल वेस्ट निष्पादन यूनिट ढाई साल से बंद पड़ी है। जिसके कारण पुलिस थानों से भेजे गए विसरा सैंपल परीक्षण के बाद लौटाए जा रहे हैं। परीक्षण के बाद अनुपयोगी हो चुके इस बायोलॉजिकल वेस्ट को रखने के इंतजाम न होने से पुलिस द्वारा यहां-वहां फेंक दिया जाता है। यह स्थिति फोरेंसिक लैब के अधिकारियों की इच्छा शक्ति की कमी के कारण बनी है और संक्रमण की आशंका को बढ़ा रही है।
लैब में बायोलॉजिकल वेस्ट व टेस्ट में उपयोग आने वाले केमिकल के निष्पादन के लिए इंसीनरेटर यूनिट स्थापित की गई थी लेकिन यह कुछ ही दिन बाद संचालन और सही रखरखाव न होने के कारण ठप हो गई। इंसीनरेटर में आई तकनीकी खराबी के सुधार पर आने वाला खर्च बजट से बाहर होने से अधिकारियों ने यूनिट का उपयोग ही बंद कर दिया। इससे लाखों रुपए की मशीन ढाई साल से ज्यादा समय से बंद पड़ी है।
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जमीन में बहा रहे केमिकल
लैब में नमूनों के परीक्षण के लिए विभिन्न केमिकल का उपयोग किया जाता है। जांच के दौरान और बाद में विसरा नमूने और रसायन को धोकर बहा दिया जाता है। यह बायोलॉजिकल और केमिकल वेस्ट नाली से बहता हुआ कई-कई लीटर केमिकल व विसरा जमीन में समा जाता है। फोंरेसिक लैब के वैज्ञानिक अधिकारियों को केमिकल के अच्छे-बुरे प्रभाव और उससे भूमि प्रदूषित की जानकारी होने के बावजूद संक्रमण की परवाह नहीं की जा रही है।
Incinerator
पुलिस यहां-वहां लगा रही ठिकाने
इंसीनरेटर बंद होने के कुछ समय बाद विसरा सैम्पल को ठिकाने लगाने में आ हरी दिक्कतों को देखते हुए फोरेंसिक लैब प्रबंधन ने परीक्षण उपरांत सेंपल पुलिस को वापस लौटने के आदेश जारी किए थे। तब से विसरा जांच के बाद रिपोर्ट लेने आने वाले पुलिसकर्मियों को सैंपल से भरे जार थमा दिए जाते हैं। इस अनुयोगी बायोलॉजिकल वेस्ट के निस्तारण की कोई व्यवस्था न होने से पुलिसकर्मी उसे यहां-वहां ठिकाने लगा देते हैं।
डीएनए के बाद मानव अंगों के निष्पादन में भी हो रहा गोलमाल
फोरेंसिक लैब प्रदेश की इकलौती लैब है जहां पर आपराधिक-पुलिस प्रकरणों में डीएनए परीक्षण किया जाता है। पुलिस द्वारा भेजे गए मानव अंग, रक्त, हड्डी और बाल आदि के संरक्षित नमूनों भी डीएनए परीक्षण के बाद अनुपयोगी हो जाते हैं। प्रदेश भर से आने वाले सैंपलों की मात्रा महीने भर में अत्यधिक हो जाती है। लेकिन प्रदेश स्तरीय लैब में इनके निष्पादन के भी कोई इंतजाम नहीं हैं।
वैज्ञानिकों के लिए विसरा अनुपयोगी हो जाते हैं। निष्पादन के लिए उन्हें पुलिस को दे देते हैं। परीक्षण में उपयोग किए जाने वाला केमिकल और विसरा की मात्रा बहुत कम होती है।
डॉ. हर्ष शर्मा, निदेशक, एफएसएल सागर

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