लैब में नमूनों के परीक्षण के लिए विभिन्न केमिकल का उपयोग किया जाता है। जांच के दौरान और बाद में विसरा नमूने और रसायन को धोकर बहा दिया जाता है। यह बायोलॉजिकल और केमिकल वेस्ट नाली से बहता हुआ कई-कई लीटर केमिकल व विसरा जमीन में समा जाता है। फोंरेसिक लैब के वैज्ञानिक अधिकारियों को केमिकल के अच्छे-बुरे प्रभाव और उससे भूमि प्रदूषित की जानकारी होने के बावजूद संक्रमण की परवाह नहीं की जा रही है।
इंसीनरेटर बंद होने के कुछ समय बाद विसरा सैम्पल को ठिकाने लगाने में आ हरी दिक्कतों को देखते हुए फोरेंसिक लैब प्रबंधन ने परीक्षण उपरांत सेंपल पुलिस को वापस लौटने के आदेश जारी किए थे। तब से विसरा जांच के बाद रिपोर्ट लेने आने वाले पुलिसकर्मियों को सैंपल से भरे जार थमा दिए जाते हैं। इस अनुयोगी बायोलॉजिकल वेस्ट के निस्तारण की कोई व्यवस्था न होने से पुलिसकर्मी उसे यहां-वहां ठिकाने लगा देते हैं।
फोरेंसिक लैब प्रदेश की इकलौती लैब है जहां पर आपराधिक-पुलिस प्रकरणों में डीएनए परीक्षण किया जाता है। पुलिस द्वारा भेजे गए मानव अंग, रक्त, हड्डी और बाल आदि के संरक्षित नमूनों भी डीएनए परीक्षण के बाद अनुपयोगी हो जाते हैं। प्रदेश भर से आने वाले सैंपलों की मात्रा महीने भर में अत्यधिक हो जाती है। लेकिन प्रदेश स्तरीय लैब में इनके निष्पादन के भी कोई इंतजाम नहीं हैं।
डॉ. हर्ष शर्मा, निदेशक, एफएसएल सागर