भारतीय ज्ञान परंपरा भारत की समृद्ध विरासत है : गौरीशंकर चौबे
पं. दीनदयाल उपाध्याय अग्रणी में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के अंतर्गत प्राचार्य डॉ. सरोज गुप्ता के मार्गदर्शन में प्राचीन भारत-सहिष्णुता की प्रतिमूर्ति विषय पर व्याख्यान माला एवं पोस्टर प्रतियोगिता हुई।
प्राचीन भारत-सहिष्णुता की प्रतिमूर्ति विषय पर व्याख्यान माला
पं. दीनदयाल उपाध्याय अग्रणी में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के अंतर्गत प्राचार्य डॉ. सरोज गुप्ता के मार्गदर्शन में प्राचीन भारत-सहिष्णुता की प्रतिमूर्ति विषय पर व्याख्यान माला एवं पोस्टर प्रतियोगिता हुई। डॉ. मधु श्रीवास्तव की स्मृति में भारत में सहिष्णुता विषय पर एड. दिनेश श्रीवास्तव द्वारा 70 प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट, शील्ड व मेडल प्रदान किए। मुख्य अतिथि गौरीशंकर चौबे ने कहा कि रामायण के दोहे हो या तुलसी की चौपाई या वेदों की रचनाएं सभी में सहिष्णुता का मार्ग बताया गया है। भारतीय संस्कृति के मूल में वसुधैव कुटुम्बकम् का विचार सभी को आत्मसात करने का मार्ग प्रशस्त करता है। भारतीय ज्ञान परंपरा भारत की समृद्ध विरासत है, जो धर्म का मूल आधार भी है। प्राचार्य डॉ. सरोज गुप्ता ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का केन्द्रीय स्तंभ माना गया है। विनोद मिश्र सुरमणि ने कहा कि अगर चल सको तो स्वयं चलो तुम सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी। रंग के साथी असरार अहमद एवं अंशिता बजाज को बुंदेली चितेरी कला से सज्जित अंक वस्त्र प्रदान किए। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार डॉ. अमर कुमार जैन ने किया। कार्यक्रम में डॉ. गोपा जैन, डॉ. रंजना मिश्रा, डॉ. संगीता मुखर्जी, डॉ. इमराना सिद्धीकी, डॉ. शुचिता अग्रवाल, डॉ. अभिलाषा जैन, डॉ. प्रतिभा जैन, डॉ. भरत शुक्ला, डॉ. वसुंधरा गुप्ता, डॉ. रोशनी चैधरी, चंदन अहिरवार एंव चन्द्रप्रताप सिंह आदि मौजूद रहे।
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