गड़ोलाखुरई निवासी 12 वर्षीय विशाल प्रजापति दीपावली की रात हाथ से बनी पाइप की बंदूक में पोटाश डालकर चला रहा था। पहली बार जब धमाका नहीं हुआ तो बच्चे पाइप में आंख डालकर देखने लगा और विस्फोट हो गया। हादसे में विशाल की एक आंख गंभीर रूप से झुलस गई, बारूद आंख में घुस गया। फिलहाल बच्चा बीएमसी में भर्ती है, इलाज के बाद भी आंख की रोशनी कम हो जाने का अंदेशा डॉक्टर बता रहे हैं।
बहेरिया के बडक़ुआ निवासी 10 वर्षीय बालक कार्तिक अहिरवार ने शुक्रवार की सुबह कचरा में से एक रॉकेट उठा लिया और उसे चलाने का प्रयास किया। बार-बार आग लगाने पर भी रॉकेट नहीं चला और अचानक से उसमें विस्फोट हो गया। बच्चे का एक हाथ और दोनों आंखों में गंभीर चोटें आईं हैं। आंखों में बारूद भर जाने से आंखों की पुतलियों और इनर लेयर का नुकसान आु है।
बंडा क्षेत्र का एक 32 वर्षीय ग्रामीण गंभीर हालत में बीएमसी आया था, कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर डॉ. नीरज श्रीवास्तव ने उसे प्राथमिक उपचार दिया। दोनों आंखों में बारूद के कारण गंभीर चोटें थीं। उसे आई स्पेशलिस्ट के यहां भेजा लेकिन परिजन उसे शहर के निजी अस्पताल ले गए। उसकी एक आंख में गंभीर चोट थी।
घात है पटाखों का केमिकल और गैस
विशेषज्ञों की मानें तो पटाखों में पोटेशियम नाइट्रेट, सल्फर, चारकोल, बेरियम नाइट्रेट, स्ट्रोंटियम नाइट्रेट जैसे केमिकल होते हैं जो शरीर के किसी भी हिस्से में चला जाए तो बेहद घातक है। इसके अलावा पटाखा जलाने से कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड और सल्फर ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें भी निकलती हैं, जिससे फेफड़ों पर गंभीर असर हो सकता है।अभी एकादशी तक उत्साह, बरतें सावधानी
-रखे हुए पुराने पटाखे उपयोग न करें, भरोसेमंद दुकान से अच्छी क्वालिटी के खरीदें। -घर के अंदर, बालकनी पर भी पटाखे न जलाएं भले वह फुलझड़ी क्यों न हो।डॉ. प्रवीण खरे, विभागाध्यक्ष नेत्र रोग बीएमसी।