– 27 नवंबर को गुपचुप कराई थी डिलीवरी
तिलकगंज स्थित सूर्या मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल में 27 नवंबर को एक नाबालिग की गुपचुप तरीके से डिलीवरी कराई गई थी। सूचना पर बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड सहित अन्य अमला अस्पताल पहुंचा तो पहले तो प्रबंधन से विवाद हुआ, इसके बाद जब टीम ने अस्पताल की तलाशी ली तो नाबालिग व उससे जन्मा नवजात बेसमेंट में सीढिय़ों के नीचे मिला था। मामले में कैंट थाना पुलिस ने नाबालिग से बलात्कार करने वाले एक आरोपी के खिलाफ मामला भी दर्ज किया है, जिसको लेकर जांच-पड़ताल चल रही है। इसी बीच नाबालिग पीडि़ता के परिवार ने 6 दिसंबर को उससे जन्मी नवजात को कैंट थाना क्षेत्र के भैंसा पहाड़ी निवासी एक परिवार को गोदनामा लिख दिया।
– दत्तकग्रहण की यह है प्रक्रिया
मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अनुसार बिना न्यायालय के आदेश के किसी प्रकार से बच्चे के दत्तकग्रहण की प्रक्रिया नहीं की जा सकती। यदि बच्चा गोद लेने वाले से ब्लड रिलेशन भी है तब भी तब भी न्यायालय के आदेश के बाद भी बच्चे को गोद दिया जा सकता है। ऐसे मामलों में खासतौर पर जिनमें बच्चा नाबालिग से जन्मा हो और मामला न्यायालय में विचाराधीन हो। यह नियम चाइल्ड ट्रैफिकिंग को रोकने बनाए गए थे। नियमानुसार नवजात या उसके जन्म के बाद दत्तकग्रहण की प्रक्रिया होती है। न्यायालय के आदेश पर बच्चे को कारा (सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी) में रजिस्टर्ड कराया जाता है। गोद लेने वाला परिवार मिलने के बाद अंत में एक विज्ञापन भी जारी करना अनिवार्य है। इसमें बच्चे को अपने जैविक माता-पिता से अलग करने का आदेश अलग से जारी होता है।
– नवजात को बेचने की आशंका
दत्तकग्रहण की यह प्रक्रिया वैधानिक नहीं है। बच्चे को स्टाम्प पर नोटरी कर गोद नहीं लिया जा सकता। इसमें चाइल्ट ट्रैफिकिंग की आशंका है। इसमें अवैधानिक तरीके से नाबालिग का प्रसव कराने वाला अस्पताल प्रबंधन, बलात्कार का आरोपी का परिवार भी शामिल हो सकता है। इन्हीं आशंकाओं के चलते जांच के निर्देश दिए हैं। ओंकार सिंह, सदस्य, बाल अधिकार संरक्षण आयोग, मप्र