सागर. बीते दिन भाग्योदय तीर्थ में आयोजित जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम में जैन पंचायत सभा के अध्यक्ष मुकेश जैन ढाना के सवाल के जवाब में निर्यापक मुनिश्री सुधा सागर महाराज ने कहा कि मुकेश तुम दल-बदलू हो। सावधान हो जाओ मुकेश ढाना, मेरे साथ राजनीति मत करना। तुम्हें जैन समाज ने कब अध्यक्ष बनाया, तुम दो-चार लोगों के अध्यक्ष हो। आज सुधा सागर महाराज को गालियां दे रहे हो, कल काम नहीं हुआ, तो समय सागर महाराज को भी गालियां देने लगोगे। ये चिंगारी लगाना बंद करो। उन्होंने कहा कि मेरे संघ में आग लगाने की साजिश करोगे, तो तुम खुद जल जाओगे। अंदर की आग मिटाओ मुकेश, आज तुम मेरा विरोध कर रहे हो, कल समय सागर का विरोध करोगे। उन्होंने कहा कि अगर संघों में फूट डालने वाले नहीं चेते, तो पूरे भारत की जैन समाज सागर पहुंचकर ऐसे लोगों को बताएगी कि फूट डालने का अंजाम क्या होता है? एक साधु जो समाज को जोड़ने में लगा है। समाज को नई ऊचाइयां देने में लगा, आखिर क्यों ये कुछ लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। मुनि सुधा सागर ने कहा कि सागर में पूरे भारतवर्ष की समाज एकजुट होगी। सागर के लोगों को मैं दिखाऊंगा कि भारत में कैसी जैन समाज है। मुनिश्री ने कहा कि पिछले 2 माह से हम समाज में सामंजस्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं और आप जैसे लोग बार-बार चिंगारी लगा रहे हैं। आप बड़े लोग व्हाट्स एप पर गलत मैसेज फॉरवर्ड कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि व्हाट्स एप-व्हाट्स एप का खेल बंद करो। दरअसल मुकेश जैन ने तीन बत्ती पर आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम के संबंध में सुधा सागर महाराज से सवाल पूछा था, जिसके बारे में मुनिश्री पहले ही बता चुके थे।
श्रावकों को जन्मदिन मनाने में कोई दिक्कत नहीं है- मुकेश
इस मामले में मुकेश जैन ढाना ने बताया कि 16 अक्टूबर शरद पूर्णिमा को आचार्यश्री विद्या सागर महाराज और नवाचार्य श्री समय सागर महाराज का अवतरण दिवस भव्य और दिव्य तरीके से सकल दिगंबर जैन समाज सागर के द्वारा मनाया जाएगा। तीनबत्ती पर एक नाटिका का मंचन होगा। पहले नाटिका का नाम ढलता सूरज-चमकता सितारा था। इस नाम पर लोगों को आपत्ति हुई, तो माता से चर्चा के बाद इस नाटिका का नाम शरद पूर्णिमा के दो चांद कर दिया गया है और इसका मंचन 16 अक्टूबर को शाम 7.30 बजे म्यूनिसिपल स्कूल के सामने कटरा में होगा। भाग्योदय में चल रहे चातुर्मास में निर्यापक मुनिश्री सुधा सागर महाराज से भी समिति के सदस्यों ने जाकर के आशीर्वाद 2 अक्टूबर को लिया था। उस समय मुनिश्री ने कहा था कि हम लोग जन्मदिन के कार्यक्रम में नहीं जाते हैं, बल्कि आचार्य श्रीजी ने 1990 में मुक्तागिरि में हम लोगों को शरद पूर्णिमा का कार्यक्रम करवाने से मना कर दिया था। श्रावकों को जन्मदिन मनाने में कोई दिक्कत नहीं है, ऐसा पूज्यश्री ने कहा था।