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रीवा

खेलने-कूदने की उम्र में कुपोषण से जंग

रीवा से सामने आई भयावह स्थिति, नन्हीं सी उम्र में कुपोषण के साथ पेट में बेतहासा सूजन

रीवाMay 23, 2018 / 12:08 pm

Dilip Patel

War with malnutrition at the age of play in rewa

War with malnutrition at the age of play in rewa

रीवा। खेलने-कूदने की उम्र में तीन साल का रवि केवट कुपोषण के साथ बीमारी से जूझ रहा है। शरीर का वजन तो उम्र के हिसाब से बेहद कम है ही, पेट के बढ़ते आकार से पूरे परिवार की खुशियां छीन ली हैं। मजदूरी पर पलने वाले केवट परिवार के सामने बच्चे के उपचार की लाचारी अलग से है। जीएमएच की अतिकुपोषित गंभीर इकाई में पच्चीस दिन गुजर गए हैं लेकिन बच्चे की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
ललितपुर निवासी तीन साल के रवि को परिजन पच्चीस दिन पहले गांधी स्मारक चिकित्सालय लेकर आए थे। पेट के असामान्य वृद्धि देखकर शिशु रोग विशेषज्ञ भी दंग रह गए थे। बच्चे का वजन कराया गया तो चौकाने वाली स्थिति सामने आई। तीन साल की उम्र में वजन 8 किलो निकला जबकि 15 किलो तक होना चाहिए था। बच्चे को फौरन अतिकुपोषित गंभीर इकाई में भर्ती किया गया। शिशु रोग विशेषज्ञ ने इसेे पेट की सूजन का केस बता रहे हैं। उनका कहना है कि पेट के अंदर पानी भर गया है। बच्चे के लीवर में समस्या हो सकती है। परिजनों से बड़े अस्पताल ले जाने के लिए कह दिया गया है। दरअसल, गांधी स्मारक चिकित्सालय में लीवर की एडवांस जांचों की सुविधा नहीं है। जिससे बच्चे के पेट की सूजन के बारे में सही से जानकारी नहीं जुटा पा रहे हैं। बच्चे की हालत ये है कि उसकी संास फूलने लगती है। वह बहुत देर तक न तो खड़ा हो पाता है और न ही चल पाता है।
कुपोषण की रोकथाम कागजों पर
इस बच्चे के केस ने एक बात तो तय कर दी है कि कुपोषण की रोकथाम कागजों पर हो रही है। यह बच्चा एक साल से कुपोषण की जद में है लेकिन बीमार पडऩे पर अगर अस्पताल न आता तो अतिकुपोषित गंभीर इकाई में भर्ती न किया जाता। दरअसल, जिम्मेदार इस बच्चे तक पहुुंचे ही नहीं। जबकि अतिकुपोषित बच्चों को चिह्नित कर उन्हें एनआरसी पहुंचाने की जिम्मेदारी महिला एवं बाल विकास विभाग की है।

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