गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. महेश मोहन ने बताया कि, पिछले कुछ वर्षों के दौरान सेटेलाइट का यूज कर एजुकेशन के क्षेत्र में अच्छे कार्य किए गए हैं। फिलहाल स्वयं प्रभा के ३२ चैनल में एजुकेशन की बहुत सारी साम्रगी का प्रतिदिन प्रसारण होता हैं। ये चैनल पूरी तरह से एजुकेशन पर ही आधारित हैं। जो हायर एजुकेशन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। सिटी के स्टूडेंट्स इसका भरपूर लाभ उठा रहे हैं। धीरे – धीरे रुरल एरिया में भी इसका तेजी से क्रेज बढ़ रहा है।
एमएचआरडी की पहल
मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट की प्रयास से इसे शुरू किया गया है। सेटेलाइट के माध्यम से शुरु हुए ये एजुकेशन चैनल तेजी से स्टूडेंट्स के बीच पसंदीदा बनते जा रहे हैं। इंजीनियरिंग एवं मेडिकल स्टूडेंट्स के बीच इन चैनलों का अच्छा क्रेज है। स्टूडेंट्स की बात तो दूर कॉलेज के गेस्ट फैकल्टी भी इनके माध्यम से अपना नॉलेज बढ़ा रहे हैं। कंपीटेटिव एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं।
कॉलेज मेंं पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स हों या स्कूल में जिनके पास मोबाइल अवेलेबल है वे मोबाइल के जरिए जिनके पास मोबाइल अवेलेबल नहीं है ऐसे स्टूडेंट्स टीवी के माध्यम से एजुकेशन से जुड़े इन प्रसारणों के जरिए अपने नॉलेज को बढ़ा रहे हैं। स्टूडेंट्स को स्वयं प्रभा के कार्यक्रम का टीवी चैनल पर इंतजार रहता है। समय पर टीवी के सामने न केवल लेक्चर सुनते हैं। बल्कि उसे अच्छे से समझते भी हैं।
हर दिन चार घंटे की नई सामग्री
इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. जसकेतन साहू ने बताया कि १५ सेटेलाइट का उपयोग कर इन चैनलों का प्रसारण एमएचआडी ने शुरू किया है। हर दिन कम से कम चार घंटे के लिए नई सामग्री होती है जो एक दिन में ५ बार दोहराई जाती है। स्टूडेंट्स अपनी सुविधा के अनुसार समय निश्चित कर प्रसारण सुनते हैं।
आईआईटी, यूजीसी, सीईसी, इग्नू, एनसीईआरटी और एनआईओएस से इसके लिए सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। उन्होंने बताया कि खास बात यह है डीटीएच पर ये सारे चैनल नि:शुल्क उपलब्ध हैं।
हायर एजुकेशन
हायर एजुकेशन में कला और विज्ञान, वाणिज्य, सामाजिक विज्ञान और मानविकी के लेक्चर होते हैं। इसके साथ ही इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, कानून, चिकित्सा, कृषि से संबंधित भी लेक्चर होते हैं। पोस्ट ग्रेजुएट और ग्रेजुएट लेवल पर कोर्स का प्रसारण होता है।
स्कूल एजुकेशन
स्कूल शिक्षा 9 – 12 स्तर शिक्षकों के प्रशिक्षण से संबंधित कोर्स का प्रसारण होता है। बच्चों के लिए शिक्षण और सीखने के मॉड्यूल का प्रसारण होता है। उन्हें विषयों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है। इसके साथ ही कक्षा 11 वीं और 12 वीं के स्टूडेंट्स को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद मिलती है।