सत्र 2018 – 19 कक्षा 9वीं में नव प्रवेशी छात्र – छात्राओं के समझ के स्तर का आंकलन करने के उद्देश्य से प्रवेश के कुछ महीनों बाद अन्य जिलों के साथ ही रीवा में बेस लाइन टेस्ट का आयोजन किया गया था। जिसके परिणाम में यह हकीकत सामने आई है।
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक अंग्रेजी, गणित एवं हिन्दी विषयों में बेस लाइन टेस्ट का आयोजन किया गया था।
अंग्रेजी में 20211 छात्र – छात्राएं शामिल हुए थे। उसमें से 14655 छात्रा – छात्राओं का शैक्षणिक स्तर प्राथमिक स्तर का मिला एवं 5556 छात्र – छात्राओं का शैक्षणिक स्तर माध्यमिक स्कूल के स्तर का मिला।
गणित के बेस लाइन टेस्ट में 20488 छात्र – छात्राएं शामिल हुए थे। जिसमें से 14307 का शैक्षणिक स्तर प्राथमिक कक्षाओं के बराबर मिला। 6181 छात्र – छात्राओं का स्तर माध्यमिक कक्षाओं के बराबर मिला।
हिन्दी के बेस लाइन टेस्ट में 19587 छात्र – छात्राएं शामिल हुए। जिसमें 11072 का स्तर प्राथमिक एवं 8515 का स्तर माध्यमिक का मिला।
अंग्रेजी में ज्यादा कमजोर
प्राथमिक एवं माध्यमिक कक्षाओं में पढ़ाई कर हाई स्कूल में पहुंचने वाले छात्र – छात्राओं की अंग्रेजी एवं गणित बेहद कमजोर है। सबसे ज्यादा अंग्रेजी विषय में कमजोर छात्र – छात्राएं हैं इसके बाद गणित में। इससे यह स्पष्ट होता है कि प्राथमिक एवं माध्यमिक कक्षाओं में पढ़ाई का स्तर कमजोर होता जा रहा है। शिक्षकों की लापरवाही की वजह सामने आ रही है।
प्राथमिक एवं माध्यमिक कक्षाओं में अनुत्तीर्ण करने का प्रावधान नहीं है। जिसकी वजह से बच्चे कक्षा में तो आगे बढ़ जाते हैं लेकिन उनका शैक्षणिक स्तर ऊंचा नहीं उठता। जिसकी वजह से 9वीं कक्षा में बड़ी संख्या में छात्र – छात्राएं अनुत्तीर्ण हो जाते हैं। कुछ 10वीं कक्षा में अनुत्तीर्ण हो जाते हैं। इस प्रकार छात्रों की संख्या 40 फीसदी से भी कम हो जाती है।
ब्रिज कोर्स शुरू कर लाया जा रहा पटरी पर
ऐसे छात्रों को पटरी पर लाने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने ब्रिज कोर्स का संचालन किया है। जिसमें हिन्दी, अंग्रेजी में प्रश्न पत्र के प्रथम भाग में 14 से कम अंक तथा गणित के प्रथम भाग में 17 से कम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को समूह एक तथा उसे ज्यादा अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को समूह दो में अलग – अलग कर पाठ्यक्रम संचालन किया गया है। यह पाठ्यक्रम प्रत्येक दिन दो – दो कालखण्ड गणित, अंग्रेजी एवं हिन्दी विषय का अध्यापन एवं एक कालखण्ड विज्ञान एवं समाजिक विज्ञान तथा संस्कृत का पाठ्यक्रम पढ़ाकर पटरी पर लाने की कोशिश की गई।
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‘ अक्सर यह बात आती है कि माध्यमिक स्कूल से हाई स्कूल में प्रवेश लेने वाले ज्यादातर बच्चे शैक्षणिक रूप से बेहद कमजोर होते हैं। ऐसे में उसका बेसलाइन टेस्ट लिया गया। जो बच्चे शैक्षणिक रूप से कमजोर थे उनके लिए अलग कक्षाएं संचालित की गई। इसके लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई ’।
अंजनी त्रिपाठी, संयुक्त संचालक रीवा