13वीं शताब्दी में रीवा राज्य के महाराजा शालिवाहन के पुत्र नागमल ने इसका निर्माण कराया था। इस किले को 29 सितंबर 1980 को राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल तथा अवशेष अधिनियम 1964 की धारा 3 की उपधारा(1) के तहत अधिसूचित किया था। तब से यहां पर किसी तरह का मनमानी निर्माण और अतिक्रमण प्रतिबंधित था। सरकार ने यह तर्क देते हुए कि अधिक समय तक क्योंटी किले को संरक्षित करने की आवश्यकता नहीं है। डिनोटिफाइड करने के साथ ही हेरिटेज होटल बनाए जाने के संकेत दिए गए थे। यह किला 2.213 हेक्टेयर क्षेत्रफल में स्थित है। प्राकृतिक रूप से भी आकर्षक होने की वजह से यहां पर हेरिटेज होटल बनाया जाएगा।
क्योंटी किले के पास ही एक भव्य प्रपात भी है। जहां पर बरसात के दिनों में विहंगम दृश्य बनता है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। पर्यटन निगम अब प्रपात के आसपास सुरक्षा व्यवस्था बनाने के साथ ही किले को हेरिटेज होटल के रूप में विकसित करेगी ताकि प्रयागराज, वाराणसी, खजुराहो एवं बांधवगढ़ नेशनलपार्क देखने आने वाले पर्यटकों को बीच में ही ठहरने की बेहतर व्यवस्था दी जा सके।
क्योंटी की पहचान केवल ऐतिहासिक किले और प्रपात तक सीमित नहीं हैं। यहां के प्रपात में दुर्लभ औषधि सोमवल्ली भी पाई जाती है। साथ ही इसके आसपास गिद्धों को भी देखा जा रहा है जबकि दूसरे हिस्सों से ये विलुप्त हो रहे हैं। एक आशंका भी जाहिर की जा रही है पर्यटकों की आवाजाही बढऩे से सोमवल्ली और गिद्धों के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है।
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