रीवा

यहां गरीबी रेखा के नीचे जी रहे अफसर तो गरीबों का क्या होगा

बीपीएल सूची में यदि नाम है भी तो इसमें गलत क्या है? वहीं स्थानीय लोगों ने इस पर आपत्ति जताते हुए कलेक्टर से शिकायत कर जांच कराने की मांग की है।

रीवाSep 23, 2022 / 04:47 pm

Subodh Tripathi

रीवा. गरीबी रेखा (बीपीएल) सूची में नाम जुड़वाने के लिए जहां गरीब परिवारों को अफसरों के महीनों चक्कर लगाने पड़ते हैं, वहीं सिंगरौली में पदस्थ खजिन निरीक्षक विजयकांत तिवारी का नाम अर्से से बीपीएल सूची में दर्ज है। लेकिन वह इससे अनजान हैं।
पत्रिका से चर्चा के दौरान बताया कि मैंने न तो कभी इसके लिए आवेदन नहीं किया और न ही कोई लाभ ले रहा हूं। बीपीएल सूची में यदि नाम है भी तो इसमें गलत क्या है? वहीं स्थानीय लोगों ने इस पर आपत्ति जताते हुए कलेक्टर से शिकायत कर जांच कराने की मांग की है। कहा, खनिज निरीक्षक विजयकांत तिवारी नईगढ़ी तहसील की ग्राम पंचायत रामपुर के रहने वाले हैं और उनके पिता पंचायत सचिव व एक अन्य भाई खनिज विभाग में पदस्थ हैं। इसके बावजूद नईगढ़ी तहसील की सूची में 448 नंबर पर उनका नाम दर्ज है। हालांकि, वह लंबे समय से गांव से बाहर रह रहे हैं।
नौकरी लगने से पहले भी उनका नाम बीपीएल सूची में जुड़ा था, लेकिन अब तक अलग नहीं कराया। स्थानीय स्तर पर समीक्षा कर नाम कटवाने की जिम्मेदारी पंचायत सचिव-पटवारी जैसे मैदानी अमले की होती है, लेकिन इन्होंने तहसील स्तर पर कभी जानकारी ही नहीं दी। हैरानी की बात यह कि खजिन निरीक्षक को अब भी यह गलत नहीं लगता।
मैं सिंगरौली में रहता हूं

बीपीएल सूची की जानकारी मुझे नहीं है। मैं तो सिंगरौली में रहता हूं। प्रशासनिक स्तर से कभी किसी प्रकार की आपत्ति नहीं आई। यदि आएगी तो देखेंगे। वैसे इसमें गलत क्या है?
विद्याकांत तिवारी, खनिज निरीक्षक सिंगरौली

जांच की जाएगी

कोई पात्रता के दायरे से बाहर हो जाता है, तो उसकी जिम्मेदारी बनती है कि आवेदन देकर नाम कटवाए। इस मामले की जांच करवाएंगे, जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
सुनील मिश्रा, नायब तहसीलदार नईगढ़ी
कलेक्टर से की गई शिकायत में बताया गया कि नईगढ़ी क्षेत्र की तमाम पंचायतों में बीपीएल सूची के नाम पर इसी तरह फर्जीवाड़ा किया गया है। बड़ी संख्या में अपात्र लोग फर्जी दस्तावेजों के सहारे बीपीएल सूची में नाम जुड़वाकर सरकार की गरीबों के लिए संचालित योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। कई बार शिकायत की गई, लेकिन अधिकारी गंभीरता नहीं दिखाते। जबकि, पात्र हितग्राही इन योजनाओं के नाम से महज इसलिए वंचित हैं कि उनका सूची में नहीं जुड़ पा रहा।

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