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ऐसा भी होता है ! आवास योजना की किश्त जमा कराने विधायक ने उपचार के नाम पर दी राशि

– आइएचएसडीपी योजना के तहत बनाए गए मकानों में रहने वालों को उपचार के नाम पर दी गई है राशि- हितग्राहियों के खाते में सीधे राशि जमा करने के बजाय नगर निगम आयुक्त को दिया गया

रीवाDec 31, 2020 / 09:58 am

Mrigendra Singh

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MLA voluntary grant, Rajendra Shukla Rewa, planing department rewa



रीवा। नगर निगम द्वारा तैयार की गई आवासीय योजना आइएचएसडीपी विवादों में है। मकानों में लोगों को कब्जा तो दिया गया है लेकिन अब तक दस्तावेजी तौर पर उनका आवंटन नहीं किया गया है। जिसके चलते लगातार इस पर विवाद बना रहता है।
अब विधायक ने स्वेच्छानुदान राशि आवास योजना के मकानों में रहने वाले परिवारों को उपलब्ध कराई है। तकनीकी तौर पर यह राशि विधायक सीधे तौर पर नहीं दे सकते इसलिए उपचार कराने के लिए दिया है। इस पर विवाद इसलिए खड़ा हो गया है कि कई परिवारों ने कहा है कि वह बीमार नहीं हैं और न ही विधायक के पास इसके लिए आवेदन किया था।
इनका कहना है कि मकान का आवंटन कराने के लिए जरूर मांग की गई थी। स्वेच्छानुदान राशि आवंटन के तरीके पर भी सवाल उठाए गए हैं। अब तक हितग्राहियों के खातों में राशि का आवंटन होता रहा है। अब सभी के बैंक खाते भी खुले हुए हैं, ऐसे में नगर निगम आयुक्त के खाते में राशि देने पर हितग्राही ही सवालिया निशान लगा रहे हैं। जिन हितग्राहियों को स्वेच्छानुदान राशि दी गई है उसमें सभी लोग रतहरा में नगर निगम द्वारा बनाए गए मकानों में रह रहे हैं लेकिन उसकी राशि का भुगतान नहीं किया है।
यह आवास केन्द्र सरकार के सहयोग से इंटेग्रेटेड हाउसिंग एण्ड स्लम डेवलपमेंट प्रोग्राम(आइएचएसडीपी) योजना के तहत बनाए गए थे। इसके तहत रतहरा में 156 और अकोला बस्ती में 92 मकान बनाए गए थे। योजना के तहत कुल 248 मकान बनाए गए हैं। अकोला बस्ती में नेहरू नगर चूनाभट्टा के विस्थापितों को मकान में कब्जा दिया गया है। जबकि रतहरा में रानीतालाब एवं अन्य स्थानों के विस्थापितों को लाया गया है। रतहरा के ही हितग्राहियों को राशि दी गई है।

पांच से दस हजार तक दी राशि
विधायक राजेन्द्र शुक्ला ने स्वेच्छानुदान के तहत रतहरा में आइएचएसडीपी योजना के मकानों में रहने वाले लोगों को उपचार कराने के नाम पर पांच से दस हजार तक रुपए दिया है। इसमें अधिकांश वह लोग हैं जिन्हें रानीतालाब से विस्थापित कर लाया गया था। योजना एवं सांख्यिकी विभाग ने नगर निगम आयुक्त को 76 लोगों की सूची सौंपी है। जिसमें कहा गया है कि हितग्राहियों को आवंटित राशि के अनुसार प्रदाय कर उसका उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाए।

हितग्राही अंशदान नहीं देने से आवंटन रुका
आइएचएसडीपी योजना के मकान केन्द्र और राज्य सरकार के सहयोग से नगर निगम ने बनाए थे। योजना के तहत स्लम बस्तियों में रहने वाले लोगों को यह मकान दिए जाने हैं। जिसमें हितग्राही का भी अंशदान होगा। लागत के अनुसार नगर निगम ने डेढ़ लाख रुपए हितग्राही का अंशदान निर्धारित किया है। जिसमें पूर्व में 15 हजार रुपए देकर दर्जनभर लोगों ने बैंक से लोन भी लिया था, उसने अब बैंक शेष किश्तों की राशि मांग रहा है। अन्य हितग्राहियों ने अपना अंशदान नहीं दिया जिसकी वजह से अब तक मकानों का आवंटन नहीं हो सका है। कुछ दिन पहले ही विधायक राजेन्द्र शुक्ला, कलेक्टर एवं अन्य अधिकारियों ने बैठक कर बैंक फाइनेंस कराने पर चर्चा की थी। माना जा रहा है कि इसी के तहत ही विधायक ने हितग्राहियों को उपचार के नाम पर राशि दी है, ताकि वह उक्त राशि जमाकर मकानों का आवंटन करा सकें।

साल भर पहले सुर्खियों में आया था प्रोजेक्ट
नगर निगम द्वारा तैयार किया गया यह आवासीय प्रोजेक्ट करीब एक वर्ष पहले सुर्खियों में आया था। जब नगर निगम आयुक्त ने विधायक राजेन्द्र शुक्ला को 4.94 करोड़ रुपए वसूली का नोटिस थमा दिया था। आरोप था कि विधायक के कहने पर ही लोगों ने निगम द्वारा निर्मित कराए गए मकानों पर कब्जा कर लिया है। जिससे निगम को मिलने वाली राशि नहीं मिल पाई है। किसी अधिकारी द्वारा जनप्रतिनिधि को इस तरह से नोटिस दिए जाने का मामला सामने आने से यह पूरे प्रदेश में सुर्खियों में आया था।


विधायक स्वेच्छानुदान के लिए गाइडलाइन निर्धारित है। किस व्यक्ति को किस वजह से राशि दी गई है, इस पर हमारा नियंत्रण नहीं रहता। नगर निगम आयुक्त को किस वजह से राशि भेजी गई है, इसके दस्तावेजों का परीक्षण कराने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
राजेश साकेत, जिला योजना अधिकारी

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