जिन अधिकारियों की पेंशन कटौती का निर्देश जारी किया गया है, उसमें प्रमुख रूप से रिटायर्ड अधीक्षण यंत्री एचएल त्रिपाठी की 25 प्रतिशत पेंशन स्थाई रूप से वापस करने, एसपी सिंह, एनपी द्विवेदी, एमपी वर्मा आदि की दस प्रतिशत पेंशन तीन वर्ष तक लगातार काटे जाने का निर्देश है।
भ्रष्टाचार के मामले में घिरे जिन अधिकारियों को दोषी पाया गया है और वह अभी भी सेवा में हैं, उनके वेतन से राशि काटने और वेतन वृद्धियां रोकने का भी आदेश जलसंसाधन विभाग की ओर से जारी किया गया है। इसमें एनके जैन तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन यंत्री को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देते हुए उनके स्वत्वों से 45.46 लाख रुपए वसूल करने के लिए कहा है। इसी तरह कार्यपालन यंत्री एससी शर्मा की एक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकने के लिए कहा है। एनपी द्विवेदी से 3.48 लाख रुपए उन्हें देय स्वत्वों से वसूलने का आदेश दिया है। कार्यपालन यंत्री रामानंद सिंह से 52 हजार 345 रुपए वेतन से वसूली जाएगी और एक वेतनवृद्धि भी असंचयी प्रभाव से रोकी जाएगी।
– भीम सिंह मोहनिया, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री- आरोप है कि अपर पुरवा नहर कार्यालय के लिए टायपिंग, फोटोकापी, स्टेशनरी पर 6.59 लाख का अनियमित भुगतान किया।
– एके अग्रवाल, प्रभारी कार्यपालन यंत्री- नियम विरुद्ध 8.30 लाख रुपए का भुगतान। कालोनी संधारण के नाम पर 14.29 लाख का भुगतान।
– एचएल त्रिपाठी, कार्यपालन यंत्री– कार्यालय खर्च में 53.55 लाख और कालोनी संधारण के नाम पर 1.66 करोड़ एवं 5.34 करोड़ रुपए का नियम विरुद्ध भुगतान किया था।
– एनके जैन, कार्यपालन यंत्री- अलग-अलग दस भुगतानों में 7.86 करोड़ रुपए की अनियमितता की है। भुगतान नियम विरुद्ध पाए गए हैं।
– एससी शर्मा, कार्यपालन यंत्री- कार्यालय व्यय एवं सामग्री खरीदी के नाम पर 33.54 लाख रुपए का नियम विरुद्ध भुगतान किया।
– एसपी सिंह, कार्यपालन यंत्री- अलग- अलग कार्यों के लिए 37.71 लाख रुपए का नियम विरुद्ध भुगतान।
– एनपी द्विवेदी, कार्यपालन यंत्री- कार्यालय व्यय एवं नहरों के निर्माण के लिए सामग्री खरीदी के नाम पर 62.24 लाख का भुगतान किया।
– आरएन सिंह, कार्यपालन यंत्री- नियमों के विपरीत 11.67 लाख रुपए का भुगतान किया।
– आरपी शुक्ला, प्रभारी कार्यपालन यंत्री- ह्यूम पाइप, फुटब्रिज, स्टेशनरी आदि के नाम पर 2.51 करोड़ रुपए का अनियमित भुगतान।
– डीएल वर्मा, कार्यपालन यंत्री- सामग्री खरीदी के नाम पर 47.48 लाख रुपए का मनमानी भुगतान किया।