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धनतेरस से लेकर नरक चतुर्दशी तक जानें क्या हैं नियम

– धनतेरस पर क्यों खरीदा जाता है सोना, जानें यहां

Oct 22, 2022 / 04:12 pm

दीपेश तिवारी

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धनतेरस पर सोने की खरीदारी के पीछे भी एक कहानी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता हैं कि हिमा नाम के एक राजा का सोलह वर्ष का पुत्र था। राजा ने उसका विवाह एक कन्या से करा दिया लेकिन ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी कि राजकुमार की शादी के चौथे दिन सांप के काटने से उसकी मृत्यु हो जाएगी। इस सूचना ने राजा और दुल्हन को दुखी कर दिया।

दुल्हन एक चतुर लड़की थी। उसने अपने पति की जान बचाने के लिए योजना बनाई। जिस दिन ज्योतिषियों ने लड़के की मृत्यु की भविष्यवाणी की थी, उस दिन दुल्हन ने महल के सभी गहने और सोना एकत्र किया और उन्हें मुख्य द्वार के सामने रख दिया। उसने राजकुमार को न सोने की सलाह दी और उसके साथ बैठकर कुछ दिलचस्प कहानियां सुनाईं और कुछ मधुर गीत गाए।

राजकुमार के प्राण लेने के निर्धारित समय के दौरान जब भगवान यम महल के पास पहुंचे। उन्होंने सर्प का रूप धारण किया और जैसे ही महल के मुख्य द्वार के पास पहुंचे, गहनों और कीमती सामान के ढेर ने उनका रास्ता रोक दिया। सोने की चमक ने सांप को अंधा कर दिया और सांप महल में प्रवेश नहीं कर सका। इस बीच लड़की के गाए गए मधुर गीतों से सांप मंत्रमुग्ध हो गया।

राजकुमार की मृत्यु के लिए ग्रहों ने जो समय निर्धारित किया था, वह बीत गया और भगवान यम को नाग के वेश में राजकुमार की जान लिए बिना ही वापस लौटना पड़ा। इस प्रकार अपनी चतुर रणनीतियों और भगवान की भक्ति के साथ दुल्हन, राजकुमार के जीवन को सफलता पूर्वक बचाने में सफल हो गई।

राजकुमार को मृत्यु से कैसे बचाया गया, इसी कथा ने धनतेरस के दिन सोना खरीदने की परंपरा को प्रेरित किया। इसीलिए धनतेरस के दिन पूजा में सोना रखा जाता है और यम दीप के रूप में जाने जाने वाला एक दीपक मुख्य द्वार के सामने भगवान यम और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद लेने के लिए जलाया जाता है।

नियम: बर्तन खरीदने के समय इन बाताें का ध्यान रखें
धनतेरस के दिन लोग अलग-अलग प्रकार के सामानों की खरीदारी करते हैं। मान्यता है कि इस दिन खरीदारी करने से मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर का आशीर्वाद मिलता है लेकिन लोगों को धनतेरस के दिन खरीदारी के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है। ऐसे में लोग कुछ भी चीज खरीद लेते हैं इसलिए यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि धनतेरस पर कौन सी चीजें खरीदना शुभ नहीं होता है।

चीनी मिट्टी के बर्तन
दिवाली के समय लोग घरों में साज-सजावट के लिए धनतेरस के दिन चीनी मिट्टी से बने सामानों की खरीदारी करते हैं। चीनी मिट्टी की बनी वस्तुएं दिखने में सुन्दर होती हैं, लेकिन धनतेरस के दिन चीनी मिट्टी से बने सामानों खरीदारी करना शुभ नहीं माना जाता है।

एल्युमीनियम के बर्तन
ऐसा माना जाता है कि एल्युमीनियम पर भी राहु का प्रभाव होता है। साथ ही एल्युमीनियम के बर्तनों में खाना पकाना और खाना शुभ नहीं माना जाता है। इसीलिए धनतेरस के दिन एल्युमीनियम के बर्तन नहीं खरीदने चाहिए।

स्टील के बर्तन
धनतेरस के दिन सबसे ज्यादा बर्तन खरीदने की मान्यता है लेकिन इस दौरान लोग किसी भी प्रकार के बर्तन खरीद लेते हैं और ये ध्यान नहीं रखते कि क्या चीज सही है और क्या गलत। धनतेरस के दिन पीतल और तांबे जैसी धातुओं के बर्तन खरीदने चाहिए। इन धातुओं के बर्तन खरीदने से घर में उन्नति बढ़ती है लेकिन साथ ही धनतेरस के दिन स्टील के बर्तनों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि स्टील के बर्तनों में राहु का प्रभाव होता है और धनतेरस के दिन स्टील के बर्तन नहीं खरीदने चाहिए।

प्लास्टिक और कांच का सामान
प्लास्टिक या कांच की चीजों को भी धनतेरस के दिन खरीदना शुभ नहीं होता है। इससे घर में सुख-समृद्धि और उन्नति नहीं होती है और घर में पैसा भी नहीं टिकता है क्योंकि कांच पर भी राहु का प्रभाव होता है।

काले रंग का सामान
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य में काले रंग के सामान का उपयोग करना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि काले रंग पर शनि का प्रभाव होता है। ऐसे में धनतेरस पर काले रंग के सामान की खरीदारी करने से बचना चाहिए।

नरक चतुर्दशी के दिन घर के बाहर जलाया जाता है आटे का दीया
वहीं मान्यताओं के अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान किया जाता है। नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की पूजा की जाती है इसीलिए इस दिन घर के मुख्य द्वार पर आटे का दीया जलाया जाता है। यह दीया चौमुख होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन घर के बाहर दक्षिण दिशा में आटे का दीया जलाने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।
इस दिन महिलाएं रात के समय दीपक में तेल और चार बत्तियां लगाकर जलाती हैं। इस दिन तिल के तेल में दीया जलाया जाता है। इसके बाद विधि-विधान से पूजा करने के बाद दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यज: प्रीयतां मम्’ इस मंत्र का जाप करते हुए पूजा की जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि छोटी दिवाली के दिन यमदेव की पूजा के साथ-साथ आटे का दीया इसलिए भी जलाया जाता है क्योंकि इस दिन आटे का दीपक जलाने से नरक से मुक्ति मिलती है।

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