लोकसभाध्यक्ष ने कहा कि संत हमेशा भगवान महावीर एवं भगवान पाश्र्वनाथ के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। हम उनके विचारों को जानें-समझें और ग्रहण करने का प्रयास करें। लोभ, माया, मोह को त्यागने का प्रयास करें। आध्यात्मिक विचारों से जीवन में निश्चित ही शांति स्थापित हो सकेगी। आचार्य कुंथु सागर एवं आचार्य गुणधर नंदी के मार्गनिर्देशन में सामाजिक सरोकार के काम निरंतर हो रहे हैं। शिक्षा एवं संस्कारों को बढ़ावा दिया जा रहा है। तप-त्याग के जरिए समूचे देश में कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। संत जिस धरती पर जाते हैं, उस धरती को पावन-पुण्य बना देते हैं।
लोकसभाध्यक्ष ने कहा कि इस देश में जैन आचार्य, मुनि, संत देश में जगह-जगह धर्म एवं आध्यात्म की ज्योति को प्रज्ज्वलित करने का महत्ती काम कर रहे हैं। भगवान पाश्र्वनाथ के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया है। इतने वर्षों बाद भी आज हमें लगता है कि उनके विचार मनुष्य को जीवन जीने का दर्शन दे रहे हैं। उनके विचारों में नैतिकता हैं, तप-तपस्या हैं, समर्पण है। इसीलिए मानव कल्याण के लिए उनके विचार जन-जन तक पहुंचे। उन्होंने उस कालखंड में जो विचार दिए थे वे आज वैश्विक शांति के विचार बन चुके हैं। अहिंसा आज दुनिया की जरूरत है।
बिरला ने कहा कि वे जब भी भगवान पाश्र्वनाथ के विचारों को सुनते हैं तो उन्हें प्रेरणा मिलती है। अनुकरणीय जीवन जीने की राह मिलती है। मनुष्य जीवन से बड़ा जीवन कोई नहीं हो सकता है। हम भगवान पाश्र्वनाथ के विचारों पर चलें। उनके दर्शन पर चलें। यदि हम सुविधाओं एवं अभावों दोनों के बीच खुद को समर्पित कर दें तो हमारा जीवन सार्थक हो जाएं। प्रतिकूलता भी जीवन का एक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि संतों के पास जाओगे तो शांति मिलेगी। व्यक्ति का मन जब अहिंसा की ओर होता हैं तब दिव्य दृष्टि की ओर जाता है। हिंसा अपराध की ओर ले जाती है।
आचार्य गुणधरनन्दी ने कहा कि करीब 12 वर्ष पहले पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी यहां आए थे। आचार्य कुंथु सागर ने कहा कि एक धर्म नेता होते हैं और दूसरे राजनेता। धर्म नेता का काम धर्म को चलाना है। धर्म को चलाने के लिए धर्माचार्य की जरूरत होती है। राजनेता देश-प्रदेश को चलाने वाले होते हैं। समाजसेवी महेन्द्र सिंघी ने स्वागत भाषण दिया। संदीप क्यातनवर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कोटा शहर भाजपा अध्यक्ष राकेश जैन ने भी विचार रखे। इससे पहले लोकसभाध्यक्ष बिरला ने वरुर स्थित सुमेरू पर्वत में माता सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष पुष्प अर्पित किए एवं पूजा की।