हं हनुमते रूद्रात्मकाय हुं फट्। हनुमान जी के चौदह अक्षरों का विशेष मंत्र
ऊँ नमो हरि मर्कट मर्कटाय स्वाहा।
हं पवन नन्दनाय स्वाहा।
वहीं हनुमान जयंती के संबंध में जयंती शब्द को लेकर विरोध करने वाले पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि यहां हनुमान जयंती शब्द अनुचित है। क्योंकि सामान्यत: जयंती शब्द का उपयोग तब किया जाता है, जब कोई व्यक्ति अपनी आयु पूर्ण करने के बाद मृत्यु को प्राप्त हो जाता हैं। उनका कहना है कि चूंकि हनुमान जी चिरंजीवी हैं यानि अब तक जीवित हैं, ऐसे में उनके जन्मदिवस को जयंती न कह कर जन्मोत्सव शब्द का प्रयोग किया जाना चाहिए।
नकारात्मकता से छुटकारे के लिए
ऊँ नमो भगवते पंचवदनाय पश्चिमुखाय गरुडाननाय मं मं मं मं मं सकल विषहराय स्वाहा।। धन-दौलत में वृद्धि के लिए
ऊँ नमो भगवते पंचवदनाय उत्तरमुखाय आदिवराहाय लं लं लं लं लं सकल संपत्कराय स्वाहा।।
पंडित शर्मा के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ही चैत्र पूर्णिमा कहा जाता है। वहीं चैत्र पूर्णिमा का पवनपुत्र हनुमान जी से भी एक विशेष संबंध है। मान्यता है कि इस तिथि यानि पूर्णिमा तिथि को ही संकटमोचन हनुमान जी का जन्म हुआ था। इसी कारण हर साल चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती (जन्मोत्सव) या महावीर जयंती (जन्मोत्सव) मनाई जाती है।
वहीं हिंदुओं में सभी पूर्णिमा अति विशिष्ट होने के चलते चैत्र पूर्णिमा के दिन भी नदियों में स्नान करने और दान करने की परंपरा है। ऐसे में चैत्र पूर्णिमा के दिन भक्त माता लक्ष्मी की पूजा के अतिरिक्त भगवान सत्यनारायण की व्रत कथा का आयोजन करते है। तो आइये जानते हैं इस साल यानि 2022 में कब है चैत्र पूर्णिमा की तिथि और पूजा मुहूर्त-
चैत्र पूर्णिमा 2022 तिथि
पं. शर्मा का कहना है कि हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत शनिवार, 16 अप्रैल 02:25 AM को होगी। वहीं इस तिथि का समापन रविवार, 17 अप्रैल को सुबह 12 बजकर 24 मिनट पर होगा। उदया तिथि यानि सूर्योदय के समय पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल को मिल रहा है, ऐसे में उदया तिथि में व्रत रखने का नियम होने के कारण हनुमान जन्मोत्सव 16 अप्रैल को मनाया जाएगा, साथ ही चैत्र पूर्णिमा भी रविवार,16 अप्रैल को ही मानी जाएगी।
ये रहेंगे शुभ योग-
हनुमान जन्मोत्सव के दिन हिंदू पंचांग के अनुसार रवि व हर्षण योग रहेगा। इसके अलावा इस दिन हस्त व चित्रा नक्षत्र भी रहेंगे। दरअसल शनिवार, 16 अप्रैल को हस्त नक्षत्र 08:40 AM तक रहेगा, इसके बाद से चित्रा नक्षत्र आरंभ होगा। इस दिन इसके अलावा रवि योग 5:55 AM से शुरु हो रहा है जिसका समापन 08:40 बजे होगा। जबकि हर्षण योग सुबह 02 बजकर 45 मिनट से अप्रैल 17 तक रहेगा।
ऐसे में सुबह से ही भक्त पवित्र नदियों में पूर्णिमा का स्नान कर सकते हैं और दान दे सकते हैं। वहीं व्रत रखने वाले भी शनिवार 16 अप्रैल को पूर्णिमा व्रत रखेंगे।
हर्षण व रवि योग का महत्वहर्ष का अर्थ खुशी, प्रसन्नता माना जाता है। मान्यता के अनुसार इस योग में किए जाने वाले कार्यों में सफलता मिलती है। वहीं ज्योतिष शास्त्र में रवि योग को भी शुभ योगों में माना जाता है। माना जाता है कि इस योग में किए गए कार्यों का शुभ फल प्राप्त होता है।
सूर्योदय: सुबह 05:55:12 बजे
सूर्यास्त: शाम 06:47:48 बजे
चंद्रोदय: शाम 06:27:24 बजे
चंद्रास्त: चंद्रास्त नहीं
राहुकाल: सुबह 09:08 बजे से सुबह 10:45 बजे तक
भद्रा: सुबह 05:55 बजे से दोपहर 01:28 बजे तक हनुमान जन्मोत्सव के दिन ऐसे करें हनुमान जी की पूजा
चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जन्मोत्सव के दिन सुबह स्नान और दान के बाद श्रीराम भक्त हनुमान की पूजा करनी चाहिए। इस पूजा के दौरान श्री हनुमानजी को लाल लंगोट, सिंदूर, बूंदी के लड्डू, चमेली का फूल या तेल अवश्य चढ़ाना चाहिए। जिसके पश्चात हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। वहीं इस पूरे दिन हनुमान जी के प्रभावी मंत्रों का जाप करना विशेष माना जाता है।