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Pitru Paksha 2020: सर्वपितृ अमावस्या क्यों मानी जाती है विशेष? साथ ही जानें इस दिन दीपदान के महत्व

Sarvapitri Amavasya: बेहद खास है ये अमावस्या, जाने इस दिन क्या करें?
: इस बार सर्वपितृ अमावस्या तिथि 5 अक्टूबर से 6 अक्टूबर 2021 तक है

Sep 23, 2021 / 07:49 pm

दीपेश तिवारी

sarvapitri_amavasya_2021

sarvapitri amavasya 2021 Special

हिंदू कैलेंडर में जहां हर वर्ष के 16 दिन पितरों को समर्पित रहते हैं। वहीं इन 16 दिनों को पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। कई बार तिथि गलने पर इनकी संख्या कम या किसी दिन बीच में श्राद्ध की तिथि नहीं पड़ने पर इन दिनों की संख्या कम या ज्यादा भी हो जाती है।

वहीं श्राद्ध कर्म के 16 दिनों दिनों में से हर दिन अपने आप में एक खास विशेषता लिए होता है, इसी कारण किसी का भी श्राद्ध किसी भी दिन नहीं किया जा सकता। इसके लिए हर व्यक्ति की मृत्यु के आधार पर उसके श्राद्ध की तिथि निश्चित होती है, केवल महिलाओं के लिए ही सिर्फ एक दिन नवमी तिथि निश्चित की गई है। वहीं इन तिथियों के आधार पर ही श्राद्ध कर्म निश्चित किए गए है।

shradh paksh

पंडित केपी शर्मा के अनुसार इस सभी तिथियों में सर्वपितृ अमावस्या को अत्यंत विशेष माना गया है, यह पितृ पक्ष के समापन की तिथि होती है। इस दिन पितृपक्ष में पितर धरती पर विचरण कर रहे पितृजन को विदा कर दिया जाता है। साथ ही इस तिथि के दिन जिन पितरों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती उन सभी का श्राद्ध किया जाता है।

यूं तो तर्पण और पिंडदान का कार्य हर अमावस्या तिथि को किया जा सकता है, लेकिन पितृपक्ष के अंतिम दिन पड़ने वाली इस अमावस्या तिथि के दौरान पिंडदान, श्राद्ध व पितरों के नाम पर दान का खास महत्व माना गया है।

जानकारों के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या के दिन जितना महत्व पितरों के निमित्त पिंडदान और तर्पण का है, उससे कहीं अधिक इसका बुरे ग्रहों की शांति में महत्व है।

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Importance of Trayodashi Shradh , Magha Shradh 2020
IMAGE CREDIT: patrika

इसी कारण इस अमावस्‍या का दूसरा नाम महालया अमावस्‍या भी है। माना जाता है कि आपकी जन्म कुंडली के बुरे ग्रहों को शांत करके यह अमावस्या शुभ ग्रहों का प्रभाव बढ़ाने का काम करती है।

माना जाता है कि यदि किन्हीं या किसी ग्रह का आपकी जन्मकुंडली में अशुभ प्रभाव है और इसके प्रभाव से आपके जीवन में समस्याएं बढ़ रही हैं, तो सर्वपितृ अमावस्या के उपाय से न केवल वे अशुभ ग्रह शांत होते हैं बल्कि शुभ ग्रहों का प्रभाव भी बढ़ता है।

सर्व पितृ अमावस्या 2021 मुहूर्त
अमावस्या तिथि की शुरुआत: अक्टूबर 05, 2021 को 19:04 बजे से
अमावस्या तिथि का समापन : अक्टूबर 06, 2021 को 16 :34 बजे तक

दीपदान का महत्व
अमावस्या तिथि के दिन दीपदान करने का शास्त्रों में काफी महत्व बताया गया है। माना जाता है कि इस दिन दीपदान पवित्र नदियों या सरोवर में करने से अशुभ ग्रह शांत हो जाते हैं। जबकि शुभ ग्रहों का प्रभाव बढ़ता है।

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कब करें दीपदान: इस संबंध में जानकारों का कहना है कि दीपदान अमावस्या तिथि पर शाम के समय किया जाना चाहिए है। इसके तहत किसी पवित्र नदी या सरोवर में आटे के पांच दीयों में सरसों का तेल डालकर किसी पत्ते के दोने या किसी गलने योग्य डिब्बे में रखकर प्रवाहित करना चाहिए।

दीपदान के दौरान अलग-अलग दीयों को भी प्रवाहित किया जा सकता है और इनकी संख्या में भी बढ़ौतरी की जा सकती है। इसके तहत सर्वप्रथम प्रवाहित किए जाने वाले दीयों में पहले आदि पंचदेवों जिनमें श्रीगणेश, दुर्गा, शिव, विष्णु और सूर्य को साक्षी मानते हुए उनसे अपनी समस्याओं के समाधान की प्रार्थना करते हुए दीपों को प्रवाहित करें। वहीं दीपदान के पश्चात गरीबों को अन्न दान भी करना चाहिए।

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Shradh ka adhikar

दीपदान के ये हैं लाभ:
इस दिन किए जाने वालों दीपदान को लेकर कई मान्यताएं हैं, जिनका कई जगहों पर जिक्र भी समाने आता है।

: सर्वपितृ अमावस्या के दिन दीपदान से जन्मकुंडली के बुरे ग्रहों का प्रभाव कम होने के साथ ही शुभ ग्रहों के प्रभाव में वृद्धि होती है।
: माना जाता है कि कार्यों में आ रही रूकावटें सर्वपितृ अमावस्या के दिन दीपदान से दूर हो जाती है साथ ही तरक्की के रास्ते भी खुल जाते हैं।
: दीपदान सर्वपितृ अमावस्या के दिन करने से जातक का भाग्योदय होने के साथ ही उसकी सभी इच्छाएं पूरी होने लगती हैं।
: सर्वपितृ अमावस्या के दिन दीपदान से पितृ भी प्रसन्न होते हैं, जिसके बाद इससे धन, मान, सुख, वैभव प्राप्त होता है।
: इस दिन दीपदान से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है।
: सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितृदोष, कालसर्प दोष, शनि की साढ़ेसाती से पीडित व्यक्तियों द्वारा दीपदान करने से इन दोषों का असर दूर हो जाता है।
: माना जाता है कि राहु-केतु तक इस दिन दीपदान से पीड़ा देना छोड़ देते हैं और व्यक्ति के लिए आर्थिक प्रगति के रास्ते खुलते हैं।
: सर्वपितृ अमावस्या के दिन भूमि, भवन, संपत्ति संबंधी कार्यों में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए भी दीपदान किया जा हैं और इसे कई प्रकार के भौतिक सुख भी प्राप्त होते हैं।

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