नवरात्रि के पहले दिन लोग कलश स्थापना करते हैं। कलश स्थापान के समय कलश के अगल-बगल मिट्टी रखते हैं और उसमें जौ भी बोते हैं। जौ को समृद्धता का प्रतीक माना जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि ज्वारों का रंग आपके भविष्य की ओर संकेत करते हैं।
नवरात्रि पर कलश स्थापान के दौरान बोए गए जौ जिस तरह हरियाली लाते हैं, उसी तरह इनका रंग आपके जीवन में होने वाली चीजों का संकेत देते हैं। आइये जानते हैं कि ज्वारों का रंग बदलना किस ओर संकेत करते हैं…
अगर जौ का रंग नीचे से आधा पीला और ऊपर से आधा हरा है तो यह इस बात का संकेत है कि आने वाले साल का आधा समय तो आपके लिए अच्छा रहेगा। जबकि बाकी बचे हुए वर्ष में आपको थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
अगर नवरात्रि में बोए गए जौ सफेद या हरे रंग के उगते हैं तो इसे अच्छा संकेत माना जाता है। कहा जाता है कि इससे देवी मां की आप पर कृपा बरसेगी और आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
अगर जौ एकदम हरे हैं तो इसे शुभ माना जाता है। ये समृद्धता का प्रतीक होता है। कहा जाता है कि ऐसा होने पर व्यक्ति को धन प्राप्त होता है और घर में खुशहाली आती है।
नवरात्रि पर बोई गई जौ निकलने के बाद झड़ जाए या पीली होकर गिर रही हो तो इसे शुभ नहीं माना जाता है। माना जाता है कि अगर ऐसा होता है तो इससे व्यक्ति के जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। धन हानि से लेकर दूसरी कई मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है।
अगर बोई गई जौ में अंकुर जल्दी फूटते हैं और ये काफी बड़े हो जाते हैं तो ये शुभ संकेत है। माना जाता है कि आपके जीवन में कुछ अच्छा होने वाला है और उम्मीद से ज्यादा लाभ होगा।
जिनके यहां जौ में अंकुर देर से फूटते हैं और ये ज्यादा बढ़ नहीं पाते हैं तो माना जाता है कि व्यक्ति की जिंदगी उतार-चढ़ाव से भरी रहेगी। नवरात्रा में कलश स्थापना के दौरान जौ बोने को कई लोग खेत्री भी कहते हैं। नवरात्रि पर जितनी शुद्धता के साथ जौ लगाया जाता है, उसी तरह इसे सही जगह रखने के भी नियम हैं। खेत्री को नवमी के दिन विसर्जित किया जाता है।
जौ को देवी अन्नपूर्णा मां का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि इसे किसी मंदिर या पीपल व बरगद के पेड़ के नीचे रखना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से देवी मां की कृपा बनी रहती है।