इसी परंपरा के अनुसार ज्येष्ठ मास के पूर्णिमा तिथि के दिन ओडिशा के जगन्नाथ पुरी मंदिर से भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के साथ गर्भगृह से बाहर लाया जाता है। मान्यता के अनुसार स्नान के बाद भगवान को बुखार आ जाता है। इसके बाद भगवान शयन कक्ष में रहते हैं। इस दौरान उनका उपचार किया जाता है और उन्हें कई तरह की औषधियां खिलाई जाती है।
सिर्फ पुजारी ही भगवान के दर्शन कर पाते हैं और उनकी सेवा सुश्रुसा करते हैं। इस दौरान भोग भी सादे लगाए जाते हैं। इसके बाद भगवान के स्वस्थ होने पर आषाढ़ शुक्ल पक्ष शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि के दिन भगवान की रथ यात्रा निकाली जाती है। यह तिथि 20 जून मंगलवार 2023 को है, इसलिए भगवान जगन्नाथ जब स्वस्थ हो गए हैं तो उनकी रथ यात्रा 20 जून 2023 को निकाली जाएगी और वो नगर भ्रमण पर निकलेंगे।
मौसी के घर जाएंगे भगवान
परंपरा के अनुसार भगवान जगन्नाथ स्वस्थ होने पर भगवान मंदिर से बाहर आते हैं और भगवान बलभद्र, बहन सुभद्रा के साथ इनकी पूजा होती है। फिर भगवान रथ पर सवार होते हैं और नगर भ्रमण करते हैं। इसके बाद वह कुछ दिन के लिए गुजिया मंदिर अपनी मौसी के घर आराम करने के लिए जाते हैं। पांच हजार साल पुरानी बताई जाने वाली भगवान जगन्नाथ की यह रथ यात्रा देखने के लिए देश और विदेश से लोग जगन्नाथ पुरी आते हैं।ऐसे तैयार होते हैं रथ
रथ यात्रा के लिए हर साल रथ बनाए जाते हैं। रथों को चमकीले रंगों से रंगा जाता है. सबसे ऊपर लाल रंग होता है। भगवान जगन्नाथ के रथ के लिए लाल और पीले रंग का, भगवान बलराम के रथ के लिए लाल और हरे रंग का और सुभद्रा के रथ के लिए लाल और काले रंग का उपयोग किया जाता है।भगवान जगन्नाथ के रथ को चक्रध्वज या नंदीगोश कहा जाता है, जिसका अर्थ है कोलाहलपूर्ण और आनंदमय ध्वनि। इसमें 16 पहिये लगे होते हैं और यह रथ लगभग 45 फीट लंबा होता है, जिसका वजन 65 टन होता है। इसके शिखर पर गरुड़ की एक आकृति भी होती है और इसे चार सफेद लकड़ी के घोड़े खींचते नजर आते हैं।