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Sawan Putrada Ekadashi 2022: पुत्रदा एकादशी व्रत कल, नोट कर लें विष्णु जी की पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत से संतान सुख की प्राप्ति होती है।

Aug 07, 2022 / 02:39 pm

Tanya Paliwal

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Sawan Putrada Ekadashi 2022: पुत्रदा एकादशी व्रत कल, नोट कर लें विष्णु जी की पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व

सावन मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक इस वर्ष 8 अगस्त 2022 को पुत्रदा एकादशी पड़ रही है। साथ ही इस दिन सावन का आखिरी सोमवार होने से का संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से पुत्रदा एकादशी का व्रत रखता है उसे भगवान विष्णु की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा श्रवण करने से सभी पापों का नाश होता है। तो आइए जानते हैं पुत्रदा एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व…

पुत्रदा एकादशी व्रत 2022
हिंदू पंचांग के अनुसार सावन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 7 अगस्त, रविवार को सुबह 11:50 बजे से होकर इसका समापन 8 अगस्त, सोमवार को रात्रि 9:00 बजे होगा। सावन मास की पुत्रदा एकादशी का व्रत 8 अगस्त 2022 को रखा जाएगा।
व्रत पारण समय- ज्योतिष अनुसार 9 अगस्त को व्रत के पारण का समय सुबह 6:07 बजे से सुबह 8:42 बजे के मध्य किया जाएगा।

पुत्रदा एकादशी पूजा विधि
व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई करके एक लकड़ी की चौकी पर पीला रंग का कपड़ा बिछाएं। फिर उस पर भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद विष्णु जी के सामने घी का दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें।

तत्पश्चात पीला चंदन, पीले फूल, फल, धूप-दीप और नैवैद्द अर्पित करके विधिवत विष्णु जी की पूजा करें। पूजन के बाद आरती उतारें। ध्यान रखें कि भगवान विष्णु के की पूजा में तुलसीदल जरूर अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु के सामने बैठकर पुत्रदा एकादशी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। साथ ही भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करें।

पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व
शास्त्रों के अनुसार पुत्रदा एकादशी का व्रत मुख्य रूप से संतान प्राप्ति और उनकी खुशहाली के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन नियमपूर्वक और श्रद्धा से भगवान विष्णु के पूजन तथा व्रत करने वाले को संतान सुख का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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