मूर्तियां ठीक से सूखी नहीं हैं मूर्तियां बनाने और बेचने वाले कारीगरों ने कहा कि इस बार बारिश ने मूर्ति निर्माण में बाधा डाली। तीसरी पीढ़ी के मूर्ति निर्माता जगदीश ने कहा, आनेगुडे जैसे इलाकों में भारी बारिश हुई, जहां से हम मिट्टी लाते हैं। इसलिए मिट्टी की आपूर्ति नहीं हुई है। हम त्योहार से ठीक एक महीने पहले मूर्तियां बनाना और रंगना शुरू करते हैं ताकि वे ताजा दिखें, लेकिन लगातार बारिश होने के कारण मूर्तियां ठीक से सूखी नहीं हैं। बीते वर्ष की तुलना में इस बार मूर्तियां भी कम बने हैं।
वर्षों से प्रचलन में कई मूर्ति विक्रेताओं ने बताया कि कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद, लोग मिट्टी के गणेश खरीदना पसंद कर रहे हैं। इसलिए नहीं कि बीबीएमपी ने प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की मूर्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया है बल्कि इसलिए कि ये मूर्तियां कई वर्षों से प्रचलन में हैं।
बड़ा और बेहतर डिजाइन पीओपी मूर्तियों पर प्रतिबंध और मिट्टी की गणेश मूर्तियों को प्राथमिकता दिए जाने के बावजूद शहर के गोदाम मालिकों ने दावा किया कि हैदराबाद और मुंबई से विशाल पीओपी गणेश बड़ी संख्या में शहर में प्रवेश कर चुके हैं। जो लोग बड़े पैमाने पर समारोह आयोजित करते हैं, वे पीओपी गणेश की तलाश में आते हैं क्योंकि उन्हें बड़ा बनाया जा सकता है और उनका डिजाइन बेहतर होता है।
मुख्यमंत्री को आशीर्वाद देते गणेश अनोखे, नए डिजाइन की गणेश मूर्तियों के साथ-साथ कारीगरों ने अपनी रचनात्मकता दिखाने के लिए सरकारी योजनाओं और कारगिल अधिकारियों के मॉडल भी लगाए हैं। मूर्ति निर्माता श्रीनिवास (70) ने इस वर्ष ‘अन्न भाग्य गणेश’ की रचना की। चार फीट ऊंची प्रतिमा में गणेश जी मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या को आशीर्वाद देते हुए दिखाए गए हैं।श्रीनिवास ने कहा, हम हर साल कुछ अनोखा बनाने की कोशिश करते हैं। हमने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक तस्वीर बनाई थी और एक पाकिस्तानी बच्चे की भी, जिसे भारत में ओपन हार्ट सर्जरी से बचाया गया था। इस साल, हमें लगा कि अन्न भाग्य सरकार की एक अच्छी पहल है और इसलिए हमने इसका एक मॉडल बनाने का फैसला किया। हमने गंगा नदी के किनारे से मिट्टी ली और कोलकाता से 10 कारीगरों को बुलाया। इन्होंने एक सप्ताह तक अथक परिश्रम किया।