कहते हैं कि यदि किसी के समाने मौत खड़ी हो तो इस मंत्र में इतनी शक्ति है कि यह उसे खुद यमराज के मुंह से भी बाहर निकाल लाए। इस पूजा में भगवान शिव और मां गायत्री की एक साथ पूजा की जाती है।
महामृत्युंजय पूजा पूरे सात दिन तक चलती है, जिसमें भगवान शिव के मंत्र का जाप सवा लाख या उससे भी अधिक बार किया जाता है। ध्यान रखें कि पूजा का अंतिम दिन सोमवार हो क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव का दिन माना जाता है।
मृत संजीवनी मंत्र: ‘ऊँ हौं जूं स: ऊँ भूर्भुव: स्व: ऊँ त्र्यंबकंयजामहे ऊँ तत्सर्वितुर्वरेण्यं ऊँ सुगन्धिंपुष्टिवर्धनम ऊँ भर्गोदेवस्य धीमहि ऊँ उर्वारूकमिव बंधनान ऊँ धियो योन: प्रचोदयात ऊँ मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ऊँ स्व: ऊँ भुव: ऊँ भू: ऊँ स: ऊँ जूं ऊँ हौं ऊँ’
इन मंत्रों का जप सही विधि-विधान और मंत्रोच्चार के साथ होना चाहिए। यह पूजा एक या पांच पंडित मिलकर कर सकते हैं। पूजा के शुरू होने से पहले उस इंसान, जिसके लिए पूजा की जानी है, उसका नाम, गोत्र आदि का उच्चारण करते हुए संकल्प दिलवाएं और फिर मंत्र जाप शुरू करें।
इन बातों का रखें ध्यान
महामृत्युंजय पूजा मन मुताबिक या गलत तरह से कराना हानिप्रद हो सकता है। पूजा करते वक्त पंडित को कंबल के आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठना चाहिए। ध्यान रहे कि मंत्र जाप करते वक्त रुद्राक्ष की माला का ही प्रयोग करें।