1. नवरात्रि की अष्टमी तिथि को सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर और स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहनेंगे। ध्यान रखें कि इस दिन नीले और काले रंग के कपड़े बिल्कुल ना पहनें।
2. इसके बाद शुभ मुहूर्त में ही माता रानी की विधि-विधान से पूजा करें। माता रानी को लाल चुनरी, लाल वस्त्र पहनाकर और उनका श्रृंगार करके कुमकुम, अक्षत, फूल आदि अर्पित करें। उसके बाद पान, सुपारी, लौंग, इलायची, नारियल चढ़ाएं। फिर धूप, घी के दीपक, कपूर से मां की आरती उतारें। भोग के लिए फल और मिठाई रखें।
3. अष्टमी तिथि को हवन के बिना पूजा का फल नहीं मिलता है। इसलिए इस दिन हवन करना बहुत शुभ माना जाता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आहुति की सामग्री हवन कुंड से बाहर इधर-उधर नहीं गिरनी चाहिए।
4. मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए इस दिन दुर्गा चालीसा, मंत्र, दुर्गा सप्तशती का पाठ एकाग्र होकर करना चाहिए और इस दौरान बीच में कोई अन्य बात ना करें। महागौरी के मंत्र “या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।” का जाप अवश्य करें।
5. नवरात्रि में अष्टमी तिथि को घर में तुलसी के पौधे के पास 9 दिए जला कर उनकी परिक्रमा करना घर-परिवार में सुख-समृद्धि लाता है।
6. अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना भी बहुत फलदायी माना जाता है। इस दिन कन्याओं के पैर धुलवाकर हल्दी, कुमकुम, अक्षत चढ़ाएं और फिर भोजन कराकर उन्हें उपहार आदि भेंट करें।
7. इसके अलावा जो लोग अष्टमी का व्रत करते हैं या जिस घर में माता की चौकी रखी जाती है उन्हें नवरात्रि के 9 दिनों के साथ ही अष्टमी को भी दिन में सोना नहीं चाहिए।