चर्चा में क्यों ‘कल्कि भगवान’? 16 अक्टूबर को आयकर विभाग ने खुद को ‘कल्कि भगवान’ बताने वाले कथित धर्मगुरु के आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु के ठिकानों पर छापा मारकर 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की जायदाद का पता लगाया था। दरअसल, 70 साल का विजय कुमार उर्फ ‘कल्कि भगवान’ खुद को भगवान विष्णु का 10वां अवतार बताता था।
कलयुग में होगा भगवान विष्णु का अंतिम अवतार भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनहार कहा जाता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में भगवान विष्णु के 10 अवतारों का जिक्र है। इनमें से 9 अवतार हो चुके हैं और कलयुग में भगवान विष्णु का अंतिम अवतार होगा, जिन्हें कल्कि अवतार के नाम से जाना जाएगा। मान्यताओं के अनुसार, कलयुग में भगवान विष्णु के 10वें अवतार ‘कल्कि’ का अवतरण होना है। यह अवतार कलयुग के अंतिम चरण में होगा।
श्रेष्ठ ब्राह्मण पुत्र के रूप में जन्म लेंगे भगवान कल्कि श्रीमद्भागवत पुराण में भगवान विष्णु के अवतारों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसी पुराण के 12वें स्कंध के द्वितीय अध्याय में भगवान कल्कि का विवरण है। जिसमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के शंभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि पुत्र रूप में जन्म लेंगे। भगवान कल्कि देवदत्त नामक घोड़े या वाहन पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और धर्म की पुन:स्थापना करेंगे।
इस समय होगा कल्कि अवतार शास्त्रों के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा। यही कारण है कि इस तिथि को ‘कल्कि जयंती’ उत्सव रूप में मनाया जाता है। कल्कि अवतार के जन्म समय ग्रहों की जो स्थिति होगी उसके बारे में दक्षिण भारतीय ज्योतिषियों की गणना के अनुसार, जब चन्द्रमा धनिष्ठा नक्षत्र और कुंभ राशि में होगा। सूर्य तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में गोचर करेगा। गुरू स्वराशि धनु में और शनि अपनी उच्च राशि तुला में विराजमान होगा।
जयपुर में हैं भगवान कल्कि का मंदिर भारत में कल्कि अवतार के कई मंदिरें भी हैं, जहां भगवान कल्कि की पूजा होती है। यह भगवान विष्णु का पहला अवतार है जो अपनी लीला से पूर्व ही पूजे जाते हैं। जयपुर में हवा महल के सामने भगवान कल्कि का प्रसिद्ध मंदिर है। इसका निर्माण सवाई जय सिंह द्वितीय ने करवाया था। इस मंदिर में भगवान कल्कि के साथ ही उनके घोड़े की प्रतिमा भी स्थापित है। पुराणों में वर्णित कथा के आधार पर कल्कि भगवान के मन्दिर का निर्माण सन 1739 ई. में दक्षिणायन शिखर शैली में कराया गया था।