ये भी पढ़ें- बनना है धनवान तो तीन झाड़ू करें दान इसके पीछे है पौराणिक कथा काले हनुमान जी के पीछे पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि जब हनुमान जी ने अपनी शिक्षा पूरी कर ली तो गुरु सूर्य से गुरु दक्षिणा देने की बात की। इस गुरु सूर्य ने कहा कि मेरा बेटा शनिदेव ( shani dev ) मेरी बात नहीं मानता है। अगर तुम उसे मेरे पास ला दो तो मैं उसे ही गुरु दक्षिणा समझूंगा। कहा जाता है कि हनुमानजी सूर्य की बात मानकर शनि को लेने चले गए। हनुमानजी को देखते ही शनिदेव क्रोधित हो गए और उन कुदृष्टि डाल दी, जिस कारण उनका रंग काला हो गया। इसके बाद हनुमानजी शनिदेव को पकड़कर सूर्य देव के पास लाए।
ये भी पढ़ें- सास-बहू और राशि, ये है लड़ाई-झगड़े का कनेक्शन! काले हनुमान मंदिर की खासियत इस मंदिर का स्वरूप मनमोहक है। बाहर से देखने पर यह मंदिर महल जैसा दिखाई देता है। इस मंदिर में भगवान राम के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं के भी प्रतिमा स्थापित हैं। इस मंदिर का निर्माण आमेर के राजा जयसिंह ने करवाया था।