क्यों किया जाता है दुर्गा सप्तशती पाठ
वेदों में मां दुर्गा को ही शक्ति का रूप कहा गया है जो इस सम्पूर्ण इस संसार की अधिष्ठात्री हैं। इसलिए जगतजननी को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि में भक्तों को अम्बे मां के नौ रूपों की आराधना के साथ ही दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहए।
दुर्गा सप्तशती पाठ करते समय ध्यान रखें ये नियम
1. किसी भी कार्य के प्रारंभ में भगवान गणेश को याद किया जाता है। इसलिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले भी गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा यदि जिस घर में घट स्थापना हुई हो तो वहां कलश पूजन, नवग्रह पूजन और ज्योति पूजन के बाद ही सप्तशती का पाठ शुरू करना चाहिए।
2. ध्यान रखें कि श्रीदुर्गा सप्तशती पाठ से पहले और बाद में ‘ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे’ मंत्र का पाठ करना जरूरी होता है। क्योंकि इस एक मंत्र में ही ऊंकार, मां सरस्वती, लक्ष्मी माता और काली मां के बीजमंत्र निहित हैं।
3. श्रीदुर्गा सप्तशती पाठ को पढ़ते समय इसमें कवच, अर्गला, कीलक स्रोत और तीन रहस्यों को भी पढ़ना चाहिए। सतह ही पाठ के अंत में मां दुर्गा से क्षमा प्रार्थना करना ना भूलें, ताकि अनजाने में आपके द्वारा हुई गलती के लिए आपको माफी मिल सके।
4. जो व्यक्ति श्रीदुर्गा सप्तशती के पाठ को पढ़ता है उसे इसके किसी भी अध्याय को अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए। साथ ही दुर्गा सप्तशती के प्रथम, मध्यम और उत्तर चरित्र का क्रम से पाठ करने पर मां अंबे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
दुर्गासप्तशती पाठ करने के लाभ- दुर्गासप्तशती पाठ में 13 अध्याय हैं और हर अध्याय को पढ़ने से अलग अलग फल प्राप्त होता है…
पहला अध्याय- दुर्गा सप्तशती पाठ के पहले अध्याय को पढ़ने से सभी चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
दूसरा अध्याय- इस अध्याय के पाठन का फल है कि कोर्ट-कचहरी या अदालत से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं।
तीसरा अध्याय- इसे पढ़ने से दुश्मनों का नाश होता है।
चौथा अध्याय- इस अध्याय को पढ़ने वाले को मां दुर्गा के दर्शन का सौभाग्य मिलता है।
पांचवा अध्याय- यह अध्याय भक्ति, शक्ति और देवी के दर्शन का लाभ देता है।
छठा अध्याय- दुर्गा सप्तशती पाठ के इस अध्याय को पढ़ने से व्यक्ति के दुख, डर और दरिद्रता सभी दूर हो जाते हैं।
सातवां अध्याय- यह सभी मनोकामनाओं को पूरी करने का फल देता है।
आठवां अध्याय- दुर्गा सप्तशती पाठ का आठवां अध्याय किसी से मित्रता करने या किसी को अपने वश में करने के लिए पढ़ा जाता है।
नौवां अध्याय- संतान सुख और खोई हुई चीज को पाने के लिए सच्चे मन से इस अध्याय को पढ़ना बहुत फलदायी माना जाता है।
दसवां अध्याय- इस अध्याय को पढ़ने से भी नौवें अध्याय के बराबर ही फल मिलता है।
ग्यारहवां अध्याय- जो व्यक्ति भौतिक सुख-सुविधाओं की इच्छा रखता है उसके लिए ये अध्याय काफी महत्वपूर्ण होता है।
बारहवां अध्याय- दुर्गा सप्तशती के बारहवें अध्याय को पढ़ने से आपको मान सम्मान की प्राप्ति होती है।
तेरहवां अध्याय- दुर्गा सप्तशती का ये अंतिम अध्याय भक्ति और मोक्ष का फल देता है।