यह पर्व हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को आता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार दशहरे के इस दिन को विजयदशमी या आयुधपूजा के नाम से भी जाना जता है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार विजयादशमी के अवसर पर देवी अपराजिता , शमी वृक्ष और शास्त्रों की विशेष पूजन का विधान है। माना जाता है कि इसी दिन यानि तिथि पर श्रीराम ने लंका के राजा रावण का वध किया था। जिस कारण विजयदशमी को बुराई पर अच्छाई की विजय के दिन के रूप में मनाते हैं।
विजयदशमी यानि दशहरे पर इसके अलावा भी कई कार्य किए जाते हैं, जिनके संबंध में मान्यता है कि इस दिन इन कार्यों को करने से साल भर घर में सुख-शांति के अलावा तरक्की के मार्ग प्रशस्त्र होते हैं। आइए जानते हैं वो कौन से कार्य हैं?
1- गुप्त दान:
दशहरे पर रावण दहन के बाद गुप्त दान को काफी विशेष माना जाता है। मान्यता के अनुसार यह गुप्त दान आपकी धन संबंधी सभी परेशानियों को दूर करता है। वहीं इस दिन धन संबंधी परेशानियों से निजाद के लिए आप यह भी कर सकते हैं कि एक नई झाड़ू को किसी मंदिर में ऐसी जगह रख दें, जहां आपको कोई देख ना सकें।
2- पान खिलाएं :
दशहरे के दिन पान खाने और खिलाने के अलावा हनुमानजी को पान अर्पित करके उनका आशीर्वाद लेने का विशेष महत्त्व है। पान मान-सम्मान, प्रेम और विजय का प्रतीक माना जाता है। इसी कारण दशहरे के दिन पान का बीड़ा रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद दहन के बाद खाना सत्य की जीत की ख़ुशी को व्यक्त करता है।
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3- अष्टदल कमल आकृति बनाएं
रावण दहन से पहले दशहरे के दिन घर के ईशान कोने में कुमकुम, चंदन और लाल फूल से एक अष्टदल कमल की आकृति बनाकर देवी जया व विजया की पूजा करनी चाहिए। माना जाता है कि जया और विजया मां दुर्गा की सहायक योगिनी हैं। वहीं इस पूजा के बाद शमी के पेड़ की पूजा करने के बाद इस पेड़ के नीचे की थोड़ी मिट्टी लेकर अपने घर में पैसे रखने वाले स्थान पर रख दें। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में हमेशा सुख व समृद्धि बनी रहती है।
4- नीलकंठ पक्षी का दर्शन
नीलकंठ पक्षी का दशहरे के दिन दर्शन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। नीलकंठ को भगवान शिव का प्रतिनिधि माना गया है। कहा जाता है कि रावण पर विजय पाने की अभिलाषा से श्री राम ने पहले नीलकंठ के दर्शन किए थे। मान्यता के अनुसार विजयदशमी पर नीलकंठ के दर्शन करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।