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शाम के समय इन 4 मंत्रों के जाप से जीवन में सुख-समृद्धि आने की मान्यता

Evening Mantra: सनातन धर्म में सुबह-शाम की पूजा-पाठ तथा मंत्र जाप को बहुत महत्व दिया जाता है। मान्यता है कि सुबह तथा संध्या के समय दीया जलाकर ईश्वर का ध्यान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये 4 संध्या मंत्र बड़े प्रभावकारी माने गए हैं।

Jul 19, 2022 / 02:23 pm

Tanya Paliwal

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शाम के समय इन 4 मंत्रों के जाप से जीवन में सुख-समृद्धि आने की मान्यता

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार सुबह-शाम ईश्वर के सामने दीपक जलाकर पूजा करने के साथ ही मंत्रों का जाप भी बड़ा लाभकारी माना गया है। मान्यता है कि इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और सुख-समृद्धि आती है। सनातन धर्म में केवल सुबह ही नहीं संध्या पूजन को भी बहुत महत्व दिया गया है। इसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मान्यता है कि शाम की पूजा के समय इन 4 मंत्रों का जाप करना आपके सुख-सौभाग्य में वृद्धि करता है…

शाम के समय इन 4 मंत्रों का जाप माना जाता है फलदायी

कीटा: पतङ्गा: मशका: च वृक्षाः

जले स्थले ये निवसन्ति जीवाः
दृष्ट्वा प्रदीपं न च जन्म भाजा:
सुखिनः भवन्तु श्वपचाः हि विप्रा:।।
इस मंत्र का अर्थ है कि- इस मंत्र के प्रज्वलन से हम यह प्रार्थना करते हैं कि इस दीप के दर्शन जिस जीव को भी हो रहे हों, चाहे वह कीट-पतंगे हों, पक्षी हो, पेड़-पौधे हों, इस पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीव हों या पानी में। मनुष्‍य हो या कोई भी अन्य जीव हो, उसके सभी पाप नष्ट हों तथा साथ ही उसे जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाए। उस जीव को सदा सुख प्राप्त हो।

शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तुते॥
इस मंत्र का अर्थ है- जो शुभ करती है, कल्याण करती है, स्वस्थ रखती है, धन-संपत्ति प्रदान करती है और शत्रु बुद्धि को नष्ट करती है, ऐसे दीप की लौ को मैं प्रणाम करता हूँ।

अन्तर्ज्योतिर्बहिर्ज्योतिः प्रत्यग्ज्योतिः परात्परः।
ज्योतिर्ज्योतिः स्वयंज्योतिरात्मज्योतिः शिवोऽस्म्यहम्॥
इस मंत्र का अर्थ है कि- जो दिव्‍य प्रकाश मेरे भीतर और मेरे बाहर है तथा जो प्रकाश संसार में फैला हुआ है उसका मालिक एक है। सभी प्रकाशपुंजों का स्रोत वो परमात्‍मा ही है, शिव है। मैं इस दीपक को प्रतिदिन जलाने की शपथ लेता हूं।

दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तुते॥
इस मंत्र का अर्थ है कि- शाम के वक्त जलने वाले दीपक की लौ उस परम ब्रह्म और सत्पुरुषों को समर्पित है और साथ ही भगवान विष्‍णु को समर्पित है। यह दीपक मेरे पाप को नष्ट करे, हे संध्या के दीपक मैं तुझे नमन करता हूं।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)

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