इसके साथ ही आचार्य चाणक्य नीति शास्त्र मनुष्य को अपनी बुद्धि के विकास के लिए कभी भी अपने भीतर वासना लालच और अहंकार जैसे अवगुणों को नहीं आने देना चाहिए। क्योंकि जिस मनुष्य में ये अवगुण मौजूद होते हैं उसे सही और गलत की पहचान नहीं हो पाती जिससे उसकी बुद्धि का नाश होता है। साथ ही जिस व्यक्ति की बुद्धि नष्ट हो जाती है वह कभी अपने जीवन में लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाता। ऐसे में यदि किसी की बुद्धि भ्रष्ट हो जाए तो धनवान व्यक्ति का पैसा भी किसी काम नहीं आ पाता।