scriptबाईजी का मंदिर — लक्ष्मीनारायण के साथ शिव—पार्वती का भी अति दुर्लभ विग्रह है यहां | Baiji Mandir - Laxminarayan Mandir Jaipur | Patrika News
जयपुर

बाईजी का मंदिर — लक्ष्मीनारायण के साथ शिव—पार्वती का भी अति दुर्लभ विग्रह है यहां

सरदार भवानीराम की पुत्री बीचू बाई ने माणक चौक चौपड़ पर लक्ष्मीनारायण मंदिर बनवाने में विशेष सहयोग किया। इसीलिए इसे बाईजी का मंदिर भी कहा जाता है।

जयपुरMar 09, 2020 / 11:53 am

deepak deewan

Baiji Mandir - Laxminarayan Mandir Jaipur

Baiji Mandir – Laxminarayan Mandir Jaipur

जयपुर.
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी जयंती भी मनाई जाती है यानि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही धन की देवी मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। कहा जाता है कि इसी दिन समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी। यही कारण है कि इस दिन लक्ष्मी पूजन फलदायी माना गया है। इस दिन श्रदृधापूर्वक विधिविधान से माता लक्ष्मी की पूजा—पाठ—आराधना करने पर जीवन में सर्वसुख प्राप्त होते हैं।

लक्ष्मी जयंती के इस मौके पर हम आपको पिंकसिटी जयपुर के सबसे पुराने और सिदृध लक्ष्मी मंदिर के बारे में बता रहे हैं। जयपुर की स्थापना के समय महाराजा जयसिंह ने एक मीणा सरदार भवानी राम मीणा को जयगढ़ के खजाने की रक्षा की जिम्मेदारी सौंपी थी। जयपुर में वास्तु के नजरिए से तीन चौपड़ बनाई गई और इन चौपड़ों पर मां दुर्गा, महालक्ष्मी व सरस्वती के यंत्र स्थापित किए गए। छोटी चौपड़ पर मां सरस्वती का यंत्र स्थापित कर पुरानी बस्ती में सरस्वती के पुजारी विद्वानों को बसाया गया। रामगंज चौपड़ पर मां दुर्गा का यंत्र स्थापित कर उस क्षेत्र में योद्धाओं को बसाया। बड़ी चौपड़ पर धन की देवी महालक्ष्मी का यंत्र स्थापित करने के साथ महालक्ष्मी का शिखरबंध मंदिर बनवाया गया। सरदार भवानीराम की पुत्री बीचू बाई ने माणक चौक चौपड़ पर लक्ष्मीनारायण मंदिर बनवाने में विशेष सहयोग किया। इसीलिए इसे बाईजी का मंदिर भी कहा जाता है। करीब 70 फीट ऊंचे चार शिखरों का लक्ष्मीनारायण मंदिर दक्षिणी स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। उस समय जयसिंह राजदरबार के विद्वान ज्योतिष के प्रकाण्ड विद्वान पंडित जगन्नाथ शर्मा के मार्गदर्शन में विधिपूर्वक महालक्ष्मी को मंदिर में विराजमान किया गया। यहां चांदी, सोना और बहुमूल्य माणक आदि रत्नों का व्यवसाय करनेवाले जौहरियों के लिए जौहरी बाजार बनाया। जौहरियों को बसाने के बाद चौपड़ का नाम भी माणक चौक रखा गया।

पंडित जग्गनाथ की दसवीं पीढ़ी के महंत पंडित पुरुषोत्तम भारती के मुताबिक मंदिर में महालक्ष्मी का विग्रह एक ही शिला पर बनाया गया। इसमें भगवान लक्ष्मीनारायण के वाम भाग में महालक्ष्मीजी विराजमान है। मंदिर की रक्षा के लिए गरुड़ देवता को नियुक्त किया गया। उनकी सहायता करने के लिए वहां जय विजय नामक द्वारपाल भी खड़े हैं। खास बात तो यह है कि नांदिया पर सवार भगवान शिव के साथ माता पार्वती का अति दुर्लभ विग्रह भी यहां है।

Hindi News / Jaipur / बाईजी का मंदिर — लक्ष्मीनारायण के साथ शिव—पार्वती का भी अति दुर्लभ विग्रह है यहां

ट्रेंडिंग वीडियो