पद्म पुराण पाताल खंड अध्याय सात नौ में कहा गया है कि भगवान की पूजा करने जा रहा भक्त तुलसी की लकड़ी में रुद्राक्ष के छोटे-छोटे मनके की तरह माला बनाकरर गले में धारण करके पूजा करता है तो उसकी पूजा को भगवान पसंद करते हैं। सामान्य रुप से पूजा, पितृ कार्य, देव कार्य करने से जो फल मिलता है, गले में तुलसी की माला धारण कर यह कर्म करने वाले को उससे कई गुना अधिक फल मिलता है। यह भी कहा जाता है कि इसके पहनने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। तुलसी माला पहनने का लाभ एक यह भी होता है कि इससे बुध और शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं और मन शांत रहता है।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि तुलसी की माला जिस दिन से लोग पहन लेते हैं, उस दिन से स्वयं को वैष्णव समझते हैं और सात्विक जीवन जीने की तरफ आगे बढ़ जाते हैं। इसलिए तुलसी माला का बड़ा महात्म्य है। वैसे तो तुलसी की माला भगवान विष्णु को अर्पित कर कभी भी पहनी जा सकती है। लेकिन किसी पवित्र गुरु के कर कमल से उसे धारण करते हैं तो यह अधिक कल्याणकारी है। हालांकि उनकी सीख है कि जो व्यक्ति कंठी माला पहनते हैं उन्हें कुछ नियमों का पालन करना चाहिए।
1. गले में कंठी माला हो तो झूठ न बोलें।
2. धोखाधड़ी न करें, हिंसा न करें, अधर्म न करें।
3. शरीर और वाणी की शुद्धि बनाए रखें ।
4. सात्विक भोजन करें।
5. तुलसी की माला पहनने के बाद उतारना नहीं चाहिए और इस माला को पहनने से पहले गंगाजल से धोना चाहिए और धोकर पहनना चाहिए। रोज विष्णुजी का मंत्र जाप करना चाहिए।
6. शौच आदि करने जा रहे हैं तो तुलसी माला को अलग रख दें।
7. फिर हाथ पैर धोकर इसे धारण करें।
शिव की उपासना के लिए है जीवन
शंकराचार्य के अनुसार नित्य तुलसी माला धारण कर रखा है यानी कलावे की तरह बांधे हैं तो यह नहाते समय शरीर की तरह धुल जाता है। यह शरीर का अंग बन जाता है और उसी तरह शुद्ध भी होता रहता है। तुलसी की माला धारण करने के बाद अपने जीवन को भगवान विष्णु का मानना चाहिए कि आप भगवान विष्णु का दिया हुआ जीवन जी रहे हैं स्वाभाविक है भगवान विष्णु का दिया हुआ जीवन है भगवान शिव की उपासना के लिए है। वे सात्विक भाव बनाए रखने के लिए है, शास्त्रों की मर्यादा के हिसाब से चलने के लिए है।