scriptShani Chalisa: इस चालीसा के पाठ से शनि नहीं डालते कुदृष्टि, प्रसन्न हो कर देते हैं पुरस्कार | Shani Chalisa In Hindi shani chalisa ke fayde By reciting this Shani Chalisa Shani dev becomes happy and gives rewards shani dev image | Patrika News
धर्म और अध्यात्म

Shani Chalisa: इस चालीसा के पाठ से शनि नहीं डालते कुदृष्टि, प्रसन्न हो कर देते हैं पुरस्कार

दंडाधिकारी शनि देव (Shani Chalisa) कभी अपने कर्तव्य से नहीं डिगते, उनकी कुदृष्टि से इंसान तो क्या देव भी भयभीत रहते हैं। जिसके प्रभाव से राजा भी रंक हो जाता है, हालांकि शनि किसी पर प्रसन्न हो जाएं तो रंक को राजा बना देते हैं तो यहां तीन शनि चालीसा (Shani Dev Chalisa) में से ऐसी के बारे में जानें जिसके पाठ से शनि देव प्रसन्न होकर पुरस्कार देते हैं और कुदृष्टि नहीं डालते हैं।

Sep 01, 2023 / 09:06 pm

Pravin Pandey

shani_dev_image.jpg

शनि चालीसा का महत्व और पढ़ने का फायदा

शनि चालीसा का महत्व (Shanidev Chalisa Ka Mahatva)


ज्योतिषाचार्यों के अनुसार हमारे भाग्य में जो लिखा है उसे हमें भोगना ही पड़ता है, जिसका निर्धारण हमारे कर्म के आधार पर शनि देव करते हैं। कौरवों की बुद्धि भ्रष्ट होने पर महाभारत का भीषण युद्ध हो या रावण द्वारा माता सीता का हरण करने पर उसका वध होना हो, शनि का लेखा बदलता नहीं। हालांकि कर्मों के लेखा-जोखा के आधार पर अच्छे कर्म के लिए शनि देव पुरस्कार भी देते हैं।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार किसी भी देवी-देवता की आरती, स्तुति, चालीसा पढ़ने का मुख्य उद्देश्य उनके गुणों का ध्यान करना होता है। इसी तरह शनि चालीसा पढ़ने का मकसद शनि देव के कार्यों औ गुणों का स्मरण करना होता है ताकि हम उनके बताए अनुसार अच्छे कार्य करें और परिणामस्वरूप शनि देव हम पर कुदृष्टि न डालें। शनि चालीसा पढ़ने से हम बुरे कर्म करने से बचते हैं और दूसरों को कष्ट देने की नहीं सोचते। साथ ही नैतिक कार्य को अपनाते हैं।
शनि चालीसा (Shani Chalisa)


।। दोहा ।।
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन को दुःख दूर करि, कीजै नाथ निहाल।।
जय-जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज।।
।। चौपाई ।।
जयति-जयति शनिदेव दयाला।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला।।
चारि भुजा तन श्याम विराजै।
माथे रतन मुकुट छवि छाजै।।
परम विशाल मनोहर भाला।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला।।

कुण्डल श्रवण चमाचम चमकै।
हिय माल मुक्तन मणि दमकै।।
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।
पल विच करैं अरिहिं संहारा।।
पिंगल कृष्णो छायानन्दन।
यम कोणस्थ रौद्र दुःखभंजन।।
सौरि मन्द शनी दशानामा।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा।।
जापर प्रभु प्रसन्न हवैं जाहीं।
रंकहु राव करैं क्षण माहीं।।
पर्वतहू तृण होई निहारत।
तृणहू को पर्वत करि डारत।।
राज मिलत बन रामहिं दीन्हा।
कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हा।।

बनहूँ में मृग कपट दिखाई।
मातु जानकी गई चुराई।।
लखनहिं शक्ति विकल करि डारा।
मचिगई दल में हाहाकारा।।
रावण की गति-मति बौराई।
रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई।।
दियो कीट करि कंचन लंका।
बजि बजरंग वीर की डंका।।
नृप विक्रम पर जब पगु धारा।
चित्र मयूर निगलि गै हारा।।
हार नौलखा लाग्यो चोरी।
हाथ पैर डरवायो तोरी।।

भारी दशा निकृष्ट दिखायो।
तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो।।
विनय राग दीपक महं कीन्हों।
तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हों।।
हरिश्चन्द्रहुं नृप नारि बिकानी।
आपहुं भरे डोम घर पानी।।
तैसे नल पर दशा सिरानी।
भूंजी मीन कूद गई पानी।।
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।
पारवती को सती कराई।।
तनिक विलोकत ही करि रीसा।
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा।।
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।
बची द्रौपदी होति उघारी।।

कौरव के भी गति मति मारयो।
युद्ध महाभारत करि डारयो।।
रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला।
लेकर कूदि परयो पाताला।।
शेष देव लखि विनती लाई।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई।।
वाहन प्रभु के सात सुजाना।
गज दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना।।
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी।।
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।
हय ते सुख सम्पति उपजावैं।।
गर्दभ हानि करै बहु काजा।
सिंह सिद्धकर राज समाजा।।
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै।।

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।
चोरी आदि होय डर भारी।।
तैसहिं चारि चरण यह नामा।
स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा।।
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं।।
समता ताम्र रजत शुभकारी।
स्वर्ण सर्व सुख मंगल भारी।।
जो यह शनि चरित्र नित गावै।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै।।
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।
करैं शत्रु के नशि बलि ढीला।।
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई।।

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।
दीप दान दै बहु सुख पावत।।
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा।।
।। दोहा ।।
प्रतिमा श्री शनिदेव की लौह धातु बनवाए।
प्रेम सहित पूजन करै सकल कटि जाय।।
चालीसा नितनेम यह कहहिं सुनहिं धरि ध्यान।
निश्चय शनि ग्रह सुखद ह्यें पावहि नर सम्मान।।

ये भी पढ़ेंः Kab Hai Janmashtami 2023: कब है जन्माष्टमी, 6 सितंबर या सात को?

Hindi News/ Astrology and Spirituality / Religion and Spirituality / Shani Chalisa: इस चालीसा के पाठ से शनि नहीं डालते कुदृष्टि, प्रसन्न हो कर देते हैं पुरस्कार

ट्रेंडिंग वीडियो