Sankashti Chaturthi Falgun 2023: इस दिन है द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी, जानें पूजा विधि और शुभ योग
हर महीने में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। यह व्रत पार्वतीनंदन गणेश को समर्पित है। इस दिन विधि विधान से गणेशजी की पूजा की जाती है। फाल्गुन महीने की संकष्टी चतुर्थी द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी (Dwijapriya Sankashti Chaturthi Puja Vidhi) के नाम से जानी जाती है, जो नौ फरवरी को पड़ रही है। आइये जानतेहैं फाल्गुन महीने वाली इस चतुर्थी के विषय में सबकुछ।
Sankashti Chaturthi Falgun 2023: पंचांग के अनुसार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी तिथि की शुरुआत नौ फरवरी को सुबह 6.23 बजे से हो रही है और अगले दिन सुबह 7.58 बजे यह तिथि संपन्न हो रही है। इससे नौ फरवरी को ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा, इस दिन चंद्रमा की पूजा का शुभ मुहूर्त रात 9.25 बजे है।
बन रहा सुकर्मा योगः ज्योतिषाचार्यों के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन ही सुकर्मा योग बन रहा है। यह योग 8 फरवरी शाम 4.31 बजे से नौ फरवरी शाम 4.46 बजे तक रहेगा। ज्योतिष के अनुसार यह शुभ योग है। इस योग में शुरू किया गया, कोई भी कार्य असफल नहीं होता है, उसमें कोई परेशानी नहीं आती। विवाह आदि मांगलिक कार्य के लिए यह योग बेहद अच्छा माना जाता है। इस योग में कोई भी शुभ कार्य शुरू कर सकते हैं।
ये भी पढ़ेंः द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पूजा विधिः जानकारों के अनुसार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि दूसरी संकष्टी चतुर्थी के ही समान है। 1. इस दिन सुबह उठकर स्नान ध्यान कर स्वच्छ कपड़े पहनें और पूजा का संकल्प लें। 2. पूजा स्थल की साफ सफाई कर गंगाजल से उसे शुद्ध कर लें। 3. भगवान गजानन की विधि पूर्वक पूजा करें, उन्हें लड्डू या मोदक का भोग जरूर लगाएं।
4. इस दिन भगवान गणपति को 11 जोड़ी दूर्वा भी चढ़ाएं। 5. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन ऊँ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म मे वषमान्य नमः मंत्र का जाप करें। 6. पूजा के बाद गणेश चालीसा का पाठ करें।
संकष्टी चतुर्थी महत्व मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन जो भी प्राणी गणेशजी की पूजा करता है और उनका व्रत रखता है, गजानन उसके जीवन की समस्त परेशानियों को दूर कर देते हैं। उसकी मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं और सुख सौभाग्य प्रदान करते हैं। मान्यता है कि इस दिन चंद्र की पूजा से आरोग्य का वरदान मिलता है, चंद्र दोष भी दूर होता है। इस दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति मानसिक तनाव से मुक्ति पाता है।