यह शोभायात्रा पिछले 405 सालों से भी अधिक समय से लगातार निकाली जा रही है। इसके पीछे एक खास परंपरा है। होल्कर स्टेट के जमाने से सुनेल को “टप्पे” के नाम से जाना जाता था। कस्बा मध्यप्रदेश में था, लेकिन सेटलमेंट के समय राजस्थान में विलय हो गया।
मंदिर के पुजारी लक्ष्मीकांत शर्मा और हिमांशु शर्मा ने बताया कि यहां पर राजाधिराज रामचंद्र महाराज का 405 वर्ष से भी अधिक समय पुराना मंदिर है। पूरे राजस्थान में एकमात्र सुनेल में ही भगवान राजाधिराज रामचंद्र महाराज राजा के रूप में विराजमान हैं। इसी कारण यहां यह शोभायात्रा पारंपरिक रूप से निकाली जा रही है।
यहां भगवान रामचंद्र जिस स्वरूप में विराजमान हैं, वह राजा की पदवी के स्वरूप में हैं। इस कारणवश यहां भगवान राजाधिराज रामचंद्र महाराज मास की एकादशी को नगर की जनता से हालचाल जानने के लिए नगर भ्रमण करते हैं, जो ग्रामीण सवारी के रूप में पालकी में निकलते हैं।
इसमें भगवान राजाधिराज रामचंद्र महाराज की प्रतिमा विराजमान कर पुष्प मालाओं से सजाकर ढोल धमाके से सवारी निकाली जाती है। मंगलवार को चैत्र मास की समाप्ति से यह आयोजन प्रारंभ होगा। पूरे वर्ष देवशयनी एकादशी तक यह आयोजन चलेगा। देवशयनी एकादशी के बाद देवउठनी एकादशी पर पुन: यह आयोजन प्रारंभ होता है जो चतुर्मास समाप्ति के बाद राजा रामचंद्र महाराज की ग्यारस के दिन सवारी निकाली जाती है।
मंगलवार को सवारी शाम साढ़े सात बजे राम मंदिर से शुरू होकर नगर के मुख्य मार्गो से होती हुई गुजरेगी। इसमें भजन कीर्तन करते हुए चलेंगे। ऐसी मान्यता है कि राजा रामचंद्र अपनी जनता से मिलने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं।