इसी दिन से सूर्य उत्तरायण होने लगते हैं और खरमास खत्म हो जाता है। इसी दिन से खरमास में बंद शुभ कार्यों की धार्मिक रोक हट जाती है। इसके साथ ही सूर्य उत्तरायण देवताओं के दिन की शुरुआत का संकेत है। इसलिए इस समय से उत्सव शुरू हो जाते हैं।
मकर संक्रांति पर दुनिया भर में उत्सव मनाया जाता है। उत्तराखंड का उत्तरायणी मेला और गुजरात का पतंगोत्सव काफी फेमस है। इस दिन धार्मिक रूप से भगवान सूर्य और विष्णु की पूजा का विधान है।
साथ ही इस दिन शुभ समय में पवित्र नदियों में स्नान और तिल व खिचड़ी दान पुण्य अर्जित करने वाला कार्य माना जाता है। इस दिन देश के कई राज्यों में लोग घरों में पारंपरिक रूप से खिचड़ी, दही चूड़ा खाते हैं। आइये जानते हैं कब है मकर संक्रांति और स्नान दान का समय क्या है …
कब है मकर संक्रांति
पंचांग के अनुसार 14 जनवरी 2025 को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे और संक्रांति का क्षण 9.03 बजे है। इस तरह मकर संक्रांति मंगलवार 14 जनवरी को है। इस दिन मकर संक्रांति के पुण्यकाल में स्नान दान, पूजा पाठ करना शुभ फलदायक होता है और मकर संक्रांति का पुण्यकाल सुबह 9.03 बजे से शाम 6.07 बजे यानी 9 घंटे 04 मिनट है। जबकि स्नान दान का सबसे शुभ समय मकर संक्रांति का महापुण्यकाल 1 घंटा 48 मिनट का है। इस दिन महापुण्यकाल सुबह 9.03 बजे से सुबह 10.51 बजे तक है।
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मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होने लगते हैं, और उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की किरणों की ऊष्मा बढ़ने लगती है। वहीं घरों में शुभ कार्य, मांगलिक उत्सव शुरू हो जाते हैं। इस समय देवता जागृत अवस्था में रहते हैं।
संक्रांति पर क्या करना चाहिए
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार संक्रांति पर पवित्र स्नान, भगवान सूर्य को नैवेद्य अर्पण, दान-दक्षिणा देना, श्राद्ध कर्म करना, व्रत का पारण करना आदि गतिविधियां पुण्यकाल में पूरा करना चाहिए।