पं. विष्णु राजौरिया ने बताया पूरे साल में 4 नवरात्रि आती है, इसमें दो नवरात्रि प्रकट होती है, जो चैत्र और अश्विनी माह में आती है और आषाढ़ और माघ माह में गुप्त नवरात्रि मनाई जाती है। गुप्त नवरात्रि में मनवांछित फल की प्राप्ति के लिए गुप्त साधना का विशेष महत्व है। गुप्त नवरात्रि में मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमाता, भैरवी, मां धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है। ये दस महाविद्याएं हैं।
पूजन एवं घट स्थापना मुहूर्त
● सुबह 5.49 से 7.31 बजे तक अमृत बेला
● सुबह 9.14 से 10.56 बजे तक शुभ बेला
● दोपहर 12.11 से 01.06 बजे तक अभिजीत बेला।
पं. जगदीश शर्मा ने बताया कि इस बार गुप्त नवरात्रि की शुरुआत सोमवार से होगी। माता रानी की सवारी गज की होगी, जो सुख समृद्धि का प्रतीक है। नवरात्रि फलदायी और मनोकामना पूर्ति के लिए विशेष लाभकारी होंगे। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि का प्रारंभ जब रविवार या सोमवार के दिन से होता है तो माता हाथी पर सवार होकर आती हैं, यदि नवरात्रि गुरुवार-शुक्रवार से शुरू हो तो माता पालकी में आती है। वहीं नवरात्रि की शुरुआत मंगलवार-शनिवार से हो तो माता घोड़े पर सवार होकर आती है और बुधवार से शुरू हो तो माता नौका में सवार होकर आती हैं।
गुप्त नवरात्रि में कौन से योग कब-कबः पं. जगदीश शर्मा के अनुसार यह नवरात्रि विशेष रूप से शुभ है और इस समय की जाने वाली साधना सफल होगी। साथ ही आषाढ़ नवरात्रि में खरीदारी के लिए कई विशेष शुभ योग बन रहे हैं। इस समय बन रहे पांच शुभ योग मंगलकारी होने के साथ सफलता दिलाने वाले हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में पांच दिन शुभ योग रहने से आषाढ़ नवरात्रि विशेष फलदायी हो गई है। इन योगों में साधना के साथ खरीदारी भी शुभ है। त्रिपुष्कर योग, रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि और अमृत योग के संयोग आपके जीवन में मंगल करेंगे।
इन दिनों बन रहे विशेष योग | |
तारीख | विशेष योग |
20 जून | त्रिपुष्कर योग, रवि योग |
21 जून | पुष्य नक्षत्र |
22 जून | अमृत योग |
25 जून | सर्वार्थ सिद्धि योग, त्रिपुष्कर योग |
27 जून | भड़लिया नवमी और रवि योग |