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विचार मंथन : जब विवेकानन्द के जन्म से पूर्व में मुझें एक अद्भूत दिव्य दर्शन हुआ- रामकृष्ण परमहंस

ramkrishna paramhans: ज्योतिर्मण्डल का एक अंश घनीभूत होकर एक दिव्य शिशु के रुप में परिणत हो गया

Jul 05, 2019 / 04:16 pm

Shyam

daily thought vichar manthan

विचार मंथन : जब विवेकानन्द के जन्म से पूर्व में मुझें एक अद्भूत दिव्य दर्शन हुआ- रामकृष्ण परमहंस

स्वामी विवेकानन्द के जन्म के सम्बन्ध में

श्रीरामकृष्ण परमहंस देव के ही शब्दों में “एक दिन मैंने देखा, मन समाधि के मार्ग से ज्योतिर्मय पथ में ऊपर उठता जा रहा है। चन्द्र, सूर्य, नक्षत्रयुक्त स्थूल जगत का सहज में ही अतिक्रमण कर वह पहले सूक्ष्म भाव-जगत में प्रविष्ठ हुआ। उस राज्य के ऊंचे स्तरों में वह जितना ही उठने लगा, उतना ही अनेक देवी- देवताओं की मूर्तियां पथ के दोनों ओर दिखाई पड़ने लगी। क्रमश: उस राज्य की अन्तिम सीमा पर वह आ पहुंचा। वहां देखा, एक ज्योतिर्मय परदे के द्वारा खण्ड और अखण्ड राज्यों का विभाग किया गया है। उस परदे को लांघकर वह क्रमश: अखण्ड राज्य में प्रविष्ट हुआ। वहां देखा कि मूर्तरूपधारी कुछ भी नहीं है।

 

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मैं देखता हूं कि अखण्ड भेदरहित समरस..एक दिव्य शिशु

…किन्तु दूसरे ही क्षण दिखाई पड़ा कि दिव्य ज्योतिर्घन -तनु सात प्राचीन ऋषि वहां समाधिस्थ होकर बैठे है इसी समय मैं देखता हूं कि अखण्ड भेदरहित समरस, ज्योतिर्मण्डल का एक अंश घनीभूत होकर एक दिव्य शिशु के रुप में परिणत हो गया। वह देवशिशु उनमें से एक के ऋषि के पास जाकर अपने कोमल हाथों से आलिंगन करके अपनी अमृतमयी वाणी से उन्हें समाधि से जगाने के लिए चेष्टा करने लगा।

 

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आश्चर्यचकित होकर मैंने देखा…

शिशु के कोमल प्रेम- स्पर्श से ऋषि समाधि से जागृत और अधखुले नेत्रों से उस अपूर्व बालक को देखने लगे वह अद्भूत देवशिशु अति आनन्दित होकर उनसे कहने लगा, ‘मैं जा रहा हूं तुम्हें भी आना होगा,… उस समय आश्चर्यचकित होकर मैंने देखा कि उन्हीं ऋषि के शरीर- मन का एक अंश उज्ज्वल के रूप में परिणत होकर विलोम मार्ग से पृथ्वी पर अवतीर्ण हो रहा है।

 

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जब पहली बार नरेन्द्र मैंने को देखा

नरेन्द्र (स्वामी विवेकानन्द) जब पहली बार मेरे पास आया और उसको देखते ही मैं जान गया था कि यह वही दिव्य देवशिशु है, जो मेरा प्रिय नरेन्द्र है। बाद में भक्तों द्वारा पूछने पर उन्हें यह ज्ञात हुआ कि श्रीरामकृष्ण देव ने स्वयं ही उस शिशु का रूप धारण किया था।

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