1. अर्घ्य देने के लिए एक लोटे में जल लेकर उसमें कच्चा दूध मिलाएं। इसी पात्र में लालचंदन, चावल, लालफूल और कुश डालकर सूर्य की ओर मुंह करके कलश को छाती के बीचों-बीच लाकर सूर्य मंत्र का जप करते हुए जल की धारा धीरे-धीरे गिराएं।
2. भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर पुष्पांजलि अर्पित करें, इस समय अपनी दृष्टि को कलश की धारा वाले किनारे पर रखना चाहिए, इससे सूर्य का प्रतिबिम्ब एक छोटे बिंदु के रूप में दिखाई देगा और एकाग्रमन से देखने पर सप्तरंगों का वलय नजर आएगा।
3. अर्घ्य के बाद सूर्यदेव को नमस्कार कर तीन परिक्रमा करें।
4. अब टोकरी में फल और ठेकुवा आदि सजाकर सूर्यदेव की उपासना करें।
5. उपासना और अर्घ्य के बाद मन में अपनी कामना भगवान के सामने रखें। प्रयास करें कि सूर्य को जब अर्घ्य दे रहे हों, सूर्य का रंग लाल हो। इस समय अगर अर्घ्य न दे सकें तो दर्शन करके प्रार्थना करने से भी लाभ होगा।
सूर्य को अर्घ्य देने का फल
वाराणसी के पुरोहित पं. शिवम तिवारी के अनुसार सूर्य नारायण की पूजा प्रातः, मध्याह्न और सायंकाल, तीनों समयों में विशेष फलदायी होती है। प्रातःकाल सूर्य की आराधना उत्तम स्वास्थ्य का फल देती है तो मध्याह्न की पूजा यश देती है। जबकि सायंकाल पूजा सम्पन्नता प्रदान करती है। अस्ताचलगामी सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, और इन्हें अर्घ्य देना प्रभावशाली होता है। हालांकि जो लोग अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना करते हैं, उन्हें प्रातःकाल की उपासना भी जरूर करनी चाहिए।
पं. शिवम तिवारी के अनुसार छठ पूजा पर सूर्य को अर्घ्य देते समय यह मंत्र पढ़ना चाहिए, इससे धन वैभव प्राप्त होता है।
1. ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
2. ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।
पंचांग के अनुसार छठ पूजा के तीसरे दिन अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। 19 नवंबर 2023 को शाम 05.26 मिनट पर सूर्यास्त होगा।