नवरात्रि के संबंध में देवी भक्त पंडित एचपी शुक्ला का कहना है कि नवरात्रि में देवी मां की हर दिन अलग अलग रूपों में पूजा की जाती है। वहीं कुछ ऐसे तरीके भी हैं, जिनकी मदद से देवी मां को प्रसन्न करने के साथ ही उनकी पूजा का पूरा फल प्राप्त किया जा सकता है।
इस संबंध में पंडित शुक्ला का कहना है कि मां दुर्गा के अनेक रूपों के साथ ही उनके अनेक नाम भी हैं। और हर नाम के पीछे एक विशेष कथा और उसका अलग महत्व है। ऐसे में देवी मां के मुख्यरूप से 108 नाम हैं। माना जाता है कि नवरात्र में मां दुर्गा के इन नामों का जाप करने से माता कष्टों का हरण कर लेती हैं।
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मान्यता के अनुसार मां दुर्गा की नवरात्र में जो भी उपासना करता है उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होतीं हैं। यूं तो नवरात्र में माता के नौ स्वरूपों की ही पूजा-अर्चना की जाती है, लेकिन मां दुर्गा के अनेक रूप हैं।लोगों की इस अवस्था को देखते हुए पं. शुक्ला का कहना है कि यदि आप वास्तव मेंर व्यस्तता के कारण मां की आराधना के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं, तो आप कम से कम मां के 108 नामों का जाप अवश्य करें, माना जाता है कि नवरात्र में ऐसा करने से यानि मां दुर्गा के नाम का जाप करने से माता रानी कष्टों को हर लेती हैं।
जानकारों के अनुसार देवी मां के इन 108 नामों का जाप सुबह-शाम करना चाहिए, लेकिन हर नाम के उच्चारण में सावधानी रखनी बेहद जरूरी होती है। माता के नाम के उच्चारण में किसी भी तरह की गलती नहीं होना चाहिए। वहीं यदि मां दुर्गा के 108 नामों के उच्चारण सही ढंग से किया जाता है तो माता रानी की कृपा उस भक्त पर हमेशा बनी रहती है।
ये हैं मां दुर्गा के 108 नाम सती,दुर्गा, साध्वी, भवप्रीता, भवानी, भवमोचनी,दक्षकन्या, आर्या, जया, आद्या, त्रिनेत्रा, शूलधारिणी, पिनाकधारिणी, चित्रा, चंद्रघंटा, महातपा, बुद्धि, अहंकारा, चित्तरूपा, चिता, चिति, सर्वमंत्रमयी, सत्ता, सत्यानंदस्वरुपिणी, अनंता, भाविनी, भव्या, अभव्या, सदागति, शाम्भवी, देवमाता, चिंता, रत्नप्रिया, सर्वविद्या, दक्षयज्ञविनाशिनी, कात्यायनी, सावित्री, प्रत्यक्षा, ब्रह्मावादिनी,अपर्णा, अनेकवर्णा, पाटला, पाटलावती, पट्टाम्बरपरिधाना, कलमंजरीरंजिनी, अमेयविक्रमा, क्रूरा, सुन्दरी, सुरसुन्दरी, वनदुर्गा, मातंगी, मतंगमुनिपूजिता, ब्राह्मी, माहेश्वरी, एंद्री, कौमारी, वैष्णवी, चामुंडा, वाराही, लक्ष्मी, पुरुषाकृति, विमला, उत्कर्षिनी, ज्ञाना, क्रिया, नित्या, बुद्धिदा, बहुला, बहुलप्रिया, सर्ववाहनवाहना, निशुंभशुंभहननी, महिषासुरमर्दिनी, मधुकैटभहंत्री, चंडमुंडविनाशिनी, सर्वसुरविनाशा, सर्वदानवघातिनी, सर्वशास्त्रमयी, सत्या, सर्वास्त्रधारिनी, अनेकशस्त्रहस्ता, अनेकास्त्रधारिनी, कुमारी, एककन्या, कैशोरी, युवती, यति, अप्रौढ़ा, प्रौढ़ा, वृद्धमाता, बलप्रदा, महोदरी, मुक्तकेशी, घोररूपा, महाबला, अग्निज्वाला, रौद्रमुखी, कालरात्रि, तपस्विनी, नारायणी, भद्रकाली, विष्णुमाया, जलोदरी, शिवदुती, कराली, अनंता, परमेश्वरी। |