इसके लिए प्रशासन द्वारा विशेष व्यवस्था की गई है. इस मंदिर को देखने, पूजा—पाठ करने बड़ी संख्या में दूसरे जिलों से भी लोग आते हैं. धन तेरस पर भी सुबह चार बजे से श्रद्धालु आ रहे हैं और महालक्ष्मी के दर्शन कर रहे हैं. सुबह महालक्ष्मी मंदिर पर आरती के साथ दीपोत्सव की शुरुआत हुई.
रतलाम के इस प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर से जुड़ी एक मान्यता है कि यहां धनतेरस से भाईदूज तक अपना धन रखने से उसमें कई गुना वृद्धि होती है. इसलिए धनतेरस से 5 दिनों तक कई श्रद्धालु अपना धन व ज्वेलरी महालक्ष्मी मंदिर में रखते है. ऐसे में मंदिर में इतनी नकदी व ज्वेलरी इकठ्ठा हो जाती है कि 5 दिनों के लिए मंदिर मानो कुबेर के खजाने में तब्दील हो जाता है.
इन 5 दिनों में इस खजाने को देखने के लिए न सिर्फ शहर बल्कि देशभर से भी लोग आते हैं।मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा लाया जाने वाले धन उन्हें पांच दिन बाद वापस लौटा दिया जाता है. लोगों द्वारा जमा किए गए कैश की एंट्री होती है और टोकन भी दिया जाता है. 5 दिन बाद श्रद्धालु टोकन देकर अपना कैश और ज्वेलरी वापस प्राप्त कर लेते हैं.
श्रद्धालु मदन सोनी, महिला श्रद्धालु निर्मला के अनुसार मां का आशीर्वाद प्राप्त करने वे यहां आते हैं. महालक्ष्मी मंदिर के संजय पुजारी बताते हैं कि इस कैश व ज्वेलरी की सुरक्षा के लिए प्रशानिक व्यवस्था की जाती है. वहीं मंदिर की विशेष सुरक्षा व्यवस्था के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाये जाते हैं. इसके अलावा पुलिस व्यवस्था भी मंदिर के चारों तरफ रहती है.