रतलाम जिले के आदिवासी अंचल बाजना के शासकीय एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में कक्षा 6 में पढ़ने वाली अंतिमबाला की बीमारी काफी अजीब गरीब है। बीमारी के कारण उसे रात में तो सब दिखता है लेकिन सुबह होते ही उसे दिखना बंद हो जाता है। दुर्लभ बीमारी के बावजूद अंतिमबाला का पढ़ाई के प्रति अजीब जुनून है वो रात 10 बजे से बाद से तड़के 3 बजे तक पढ़ाई करती है और दिन में आंखों की रोशनी चली जाने के बाद अपनी सहेलियों की मदद से पढ़ाई करती है। अंतिमबाला का सपना सिविल सर्जन बनने का है। रतलाम मेडिकल कॉलेज के आई स्पेशलिस्ट डॉ. रिशेंद्र सिसौदिया ने बताया कि अंतिमबाला को हेमेरालोपिया बीमारी है जो लाखों में किसी एक को होती है। इसके कई कारण हो सकते हैं। सामान्य मामलों में ऑपरेशन से इसका इलाज संभव है। इसका इलाज रोग की गंभीरता पर भी निर्भर करता है।
पत्रिका की खबर का असर
पत्रिका में अजीब बीमारी से पीड़ित आदिवासी बेटी अंतिम बाला की खबर प्रकाशित होने के बाद अब मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने इस पर संज्ञान लिया है। आयोग ने कलेक्टर रतलाम से प्रकरण की जांच कराकर शासन स्तर पर पीड़ित आदिवासी बेटी अंतिमबाला के इलाज की व्यवस्था किसी योजना के अंतर्गत संभावित होने पर आवश्यक कार्यवाही कर एक माह में प्रतिवेदन मांगा है। साथ ही आयोग ने यह भी कहा है कि पीड़िता आदिवासी बालिका के पढ़ाई के प्रति प्रकट किये गये जुनून की पूर्ति राज्य शासन की ओर से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ उद्देश्य के अंतर्गत की जाये।
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