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रतलाम

Parvadhiraj Paryushan news – पर्वाधिराज पर्युषण में आठ दिन इस आराधना का विशेष महत्व

Parvadhiraj Paryushan news – पर्युषण पर्व के आठ दिन में आराधना से कर्मो का क्षय होता

रतलामAug 27, 2019 / 11:46 am

Gourishankar Jodha

Parvadhiraj Paryushan news - पर्वाधिराज पर्युषण में आठ दिन इस आराधना का विशेष महत्व

Parvadhiraj Paryushan news – पर्वाधिराज पर्युषण में आठ दिन इस आराधना का विशेष महत्व

रतलाम। पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व के दौरान तपस्या का महत्व विशेष है। आठ दिन में आराधना से कर्मो का क्षय होता है। पुण्य बढ़ते है और परमात्मा की कृपा पाते है। इसलिए जैन समाज सर्वजीव कल्याण की भावना से आराधना करता है। पर्युषण में श्रावक स्वयं को मन, वचन और कर्म से परमात्मा के चरणों में समर्पित कर देता है। आत्म संवाद और आत्म चिंतन से उनकी कृपा को पाता है। इसलिए इन दिनों में तपस्या का अत्यधिक महत्व है। यह बात बन्धु त्रिपुटी आचार्यश्री अशोकसागर सुरीश्वर महाराज ने पर्युषण के प्रथम दिन धर्मसभा में बताई।
श्रावक को विचार करना चाहिए
महाराजश्री की निश्रा में श्री देवसुर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ द्वारा आयोजित चातुर्मास अंतर्गत पर्वाधिराज पर्युषण की तप आराधना के साथ शुरुआत हुई। आचार्यश्री ने व्याख्यान में पर्युषण के प्रथम दिवस के महत्व को समझाते हुए कर्तव्यों का वर्णन किया। महाराजश्री ने बतातया कि श्रावक को विचार करना चाहिए कि अनंत जन्मों के पुण्य से जिनशासन में जन्म एवं आरोग्य मिला है, उसके बाद भी यदि जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया तो कब करेंगे। पर्युषण हमारे विवेक और वैराग्य के जागरण का पर्व है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाजजनों ने धर्म आराधना का लाभ लिया।
ग्रहस्थ जीवन विश्वास पर चलता
परिवार को उन्नत बनाने के लिए प्रेम रूपी खाद, सहयोग रूपी पानी और सहिष्णुता रूपी धूप आवश्यक है, क्योंकि आज के परिवार में संबंध प्रेम के है या पैसे के, साधनों का अभाव हो जाए तो परिवार में टकराव बढ़ जाता है। मतलब हमारे संबंध पैसे से है। ग्रहस्थ जीवन भी विश्वास पर चलता है, धर्म भी विश्वास के बल पर होता है। साधना भी विश्वास के बल पर होती है। शंका का कीड़ा जहां लग जाता है, वहां विकास नहीं होगा। एक छोटा सा कीड़ा मजबूत लकड़ी को काट देता है। एक कीड़ा फसल खराब कर देता है, एक वायरस कम्प्यूटर को खराब कर देता है। एक वायरस हमारा जीवन खत्म कर सकता है। यह विचार प्रियदर्शन महाराज ने नीमचौक स्थानक पर सोमवार सुबह धर्मसभा में रखे।
परिवार में एक दूसरे पर विश्वास जरूरी
महाराजश्री ने कहा कि अविश्वास का कीड़ा यदि परिवार में या सम्बन्धों में लग लाए तो परिवार टूट जाते है । परिवार में एक दूसरे पर विश्वास जरूरी है। जिस परिवार में प्रेम शांति, सामंजस्य व विश्वास हो तो धर्म साधना व सामायिक आराम से हो सकती है। इस मौके पर महाराजश्री सौम्यदर्शन ने कहा कि पति पत्नी के रिश्ते में 4 टी- ट्रस्ट, टाइम, टाकिंग व टच यानि मतलब सम्पर्क में रहना जरूरी है। पूज्यश्री के दर्शनार्थ चातुर्मास की विनती के लिए सूरत व गुलाबपुरा श्रीसंघ उपस्थित हुआ। साथ की भीलवाड़ा, नीमच, ताल आदि कई स्थानों से श्रीसंघ गुरुदेव के दर्शनार्थ उपस्थित हुए। चातुर्मास काल के प्रारम्भ से ही देश के कोने कोने से श्रद्धालु नीमचौक स्थानक पर पहुंच रहे है। पर्युषण पर्व 27 अगस्त से प्रारंभ हो रहे है । सभी से अधिक से अधिक संख्या में धर्मलाभ लेने का आग्रह श्रीसंघ द्वारा किया गया है।
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