बेडरोल देने में Indian Railways कर रही आपके साथ खेल
देशभर में Indian Railway ने कोरोना संक्रमण नहीं बढ़े इसलिए यात्रियों को ट्रेन में बेडरोल की सुविधा नहीं दी। जब सुविधा नहीं दी तो किराया कम होना था, लेकिन इसके बजाए किराया पूरा लिया गया। रेलवे यात्रियों से पूरा किराया लेकर बेडरोल नहीं दिया व जमकर खेल किया।
रतलाम. देशभर में Indian Railway ने कोरोना संक्रमण नहीं बढ़े इसलिए यात्रियों को ट्रेन में बेडरोल की सुविधा नहीं दी। जब सुविधा नहीं दी तो किराया कम होना था, लेकिन इसके बजाए किराया पूरा लिया गया। रेलवे यात्रियों से पूरा किराया लेकर बेडरोल नहीं दिया व जमकर खेल किया।
भारतीय रेलवे ने देश में दो साल से दौड़ रही यात्री ट्रेन के एसी डिब्बों का पूरा किराया तो लिया, लेकिन कोरोना का संक्रमण नहीं बढ़े इस नाम पर बेडरोल की सुविधा नहीं दी। जब सुविधा नहीं दी तो किराया कम करना था, लेकिन उल्टे रेलवे ने राजधानी स्तर की ट्रेन में डायनामिक फेयर के नाम पर बैसिक किराए से अधिक राशि वसूल ली। ऐसा रेलवे ने रेल मंडल में चलने वाली 11 मेल-एक्सपे्रस ट्रेन से लेकर देश में दौड़ रही 50 राजधानी ट्रेन में किया।
यह बताया कारण भारतीय रेलवे ने कोरोना काल के पूर्व रतलाम रेल मंडल के इंदौर, डॉ. अंबेडकर नगर से विभिन्न एक्सप्रेस व मेल ट्रेन चलती थी। इन ट्रेन के वातानुकूलित डिब्बों में यात्रियों को रेलवे की तरफ से बेडरोल मिलते थे। इन बेडरोल का किराया रेलवे के लिए जाने वाले यात्री टिकट में शामिल रहता था। कोरोना काल आया तो रेलवे ने पहले ट्रेन बंद की, जब चलाई तो वातानुकूलित यात्री ट्रेन के डिब्बों से पर्दे से लेकर बेडरोल को हटा दिया गया। तब बताया गया कि रेलवे ने यह कदम यात्रियों में संक्रमण नहीं बढ़े, इसलिए उठाया है।
इस तरह समझे इसको 7 अप्रेल से रेलवे मुंबई – रतलाम – नई दिल्ली राजधानी टे्रन व अगस्त क्रांति एक्सप्रेस में बेडरोल की सुविधा शुरू कर दिया। राजधानी ट्रेन की ही बात करें तो थर्ड एसी के 11 डिब्बे होते है व एक डिब्बे में 72 सीट, सेकेंड एसी के 5 डिब्बे व एक डिब्बे में 54 सीट व फस्र्ट एसी में एक डिब्बा व 26 सीट होती है।
किराए में होता है अंतर रतलाम से मुंबई राजधानी एक्सपे्रस में तृतिय श्रेणी का किराया 1525 रुपये, द्वितीय श्रेणी में किराया 2385 रुपये, प्रथम श्रेणी का किराया 2940 रुपये वसूला जाता है। इसी प्रकार रतलाम से नई दिल्ली इसी ट्रेन से जाने पर तृतिय श्रेणी का सामान्य किराया 1880, द्वितीय श्रेणी में 2585, प्रथम श्रेणी का किराया 3180 रुपये वसूला जाता है। इसमे बड़ी बात यह है कि डायनामिक किराया जैसे – जैसे ट्रेन का टिकट लेने वालों की संख्या बढ़ती जाती है, वैसे – वैसे बढ़ता जाता है। रुपये जमकर वसूलने वाली रेलवे ने जब बेडरोल नहीं दिया तो किराया एक रुपये कम नहीं किया।
यह बोलकर किया रेलवे का बचाव राजधानी ट्रेन हो या रेल मंडल के विभिन्न स्टेशन से चलने वाली ट्रेन, इनका किराया तय करने का अधिकार रेलवे बोर्ड को रहता है। इसमे रेल मंडल का कोई अधिकार नहीं रहता है।