रतलाम। सुबह के करीब 6 बजकर 30 मिनट होने को है। इंदौर जाने के लिए कुछ यात्री ब्रिज चढ़कर तो कुछ पटरी पार करके प्लेटफॉर्म नंबर दो पर आ रहे है। उनको डेमू ट्रेन में बैठना है, लेकिन सामने मथुरा लोकल पैसेंजर ट्रेन खड़ी है। जल्दबाजी मंे कुछ यात्री उसमें चढ़ते है, लेकिन रिश्तेदार या परिजन उनको रोकते है कि ये तो मथुरा लोकल है। यात्री जल्दी-जल्दी उतरते है व करीब आधा किमी से कुछ अधिक उसी ट्रैक पर डेमू ट्रेन पकडऩे के लिए दौड़ते है, क्योकि उनकी ट्रेन सुबह 6.35 बजे चल देगी। जब तक वे ट्रेन तक पहुंचते, तब तक ट्रेन चल देती है। ये नजारा एक या दो दिन का नहीं बल्कि रोज का ही है। ये मामला है देश के पश्चिम रेलवे के रतलाम रेल मंडल मुख्यालय के प्लेटफॉर्म का, जहां एक ही ट्रैक पर दो यात्री ट्रेन रहती है।
रेलवे प्रशासन में परिचालन विभाग एक ही रेलवे ट्रैक या प्लेटफॉर्म पर दो यात्री ट्रेन को खड़ा कर रहा है। एक ट्रेन रतलाम से मथूरा जाती है तो दूसरी रतलाम से डॉ. अंबेडकर नगर महू जाती है। इन दो ट्रेन को प्लेटफॉर्म नंबर दो पर थोड़ा आगे-पीछे खड़ा किया जाता है। इससे गलतफहमी के चलते अनेक बार यात्री अपने गंतव्य के बजाए अन्य ट्रेन में बैठ जाते है। अक्सर तो यात्रियों को पता चल जाता है कि वे गलत ट्रेन में आ गए है, लेकिन जिनको नहीं पता चलता, वे खाचरोद पहुंचने पर जान पाते है कि गलत ट्रेन में सवार हो गए।
वृद्ध, महिला सबसे अधिक परेशान डेमू ट्रेन को प्लेटफॉर्म पर सिग्नल से करीब एक किमी दूर खड़ा किया जा रहा है। इतना पैदल चलना महिला व वृद्ध यात्रियों के लिए परेशानी वाला होता है। सबसे बड़ी बात तो एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए एफओबी तो है, लेकिन स्केलेटर व लिफ्ट नहीं है। एेसे में ये वर्ग अधिक परेशान होता है। समाज के इस वर्ग ने ये मांग की है कि प्लेटफॉर्म अलग-अलग दोनों ट्रेन का किया जाए, लेकिन परिचालन विभाग हठधर्मिता पर अड़ा हुआ है।
ये बताते हैं कारण रेलवे के अनुसार प्लेटफॉर्म नंबर एक पर सुबह 6.30 बजे इंदौर से चलकर जोधपुर जाने वाली ट्रेन नंबर 14802 आती है। इसलिए इन दोनों ट्रेन को एक ही प्लेटफॉर्म पर लिया जाता है। बता दे कि पूर्व में मथुरा लोकल पैसेंजर प्लेटफॉर्म नंबर चार से जाती थी, लेकिन जब से इसमंे मेमू के डिब्बों का बदलाव हुआ, प्लेटफॉर्म भी बदल गए।
जल्दी होगा निराकरण इस मामले में पूर्व में भी सूचना आई है। जल्दी ही इस मामले में निकराकरण करने का प्रयास किया जा रहा है। – आरएन सुनकर, मंडल रेल प्रबंधक
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